आजमगढ़: सिर्फ भाजपा में ही पड़ा पार्टी के लिए वोट

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प्रत्याशी के नाम पर बट गए सपा-बसपा के मूल वोटर्स
अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई समाजवादी पार्टी
आजमगढ़। जनपद में चुनावी समर समाप्त हो गया है। गली से लेकर बाजारों तक अब हार-जीत को लेकर समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के खेमे में दिख रहा माहौल आने वाले 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावी उत्साह को दर्शा रहा है। कुल मिलाकर यह तस्वीर अब साफ हो गयी है कि आने वाले चुनावों में सपा और बसपा को काफी संघर्ष करना पड़ेगा। उपचुनाव में मिली जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में अभी से लग गई है।
अपने फैसले पर मायूस दिखें अल्पसंख्यक मतदाता:
नामांकन दाखिल करने के बाद तीनों पार्टियों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जोर-शोर से लग गये। 2022 के हुए विधानसभा चुनाव में जनपद की दसों सीटों पर हुई जीत से लबरेज सपा इस उपचुनाव में अपनी जीत पक्की मानकर चल रही थी। वहीं शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने विधानसभा के चुनाव में एआईएमईआईएम के टिकट पर मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ा और अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी। विधानसभा में अपनी मजबूत पारी को लेकर बसपा से टिकट मिलने के बाद शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने अपनी जीत पक्की मानकर लोकसभा उपचुनाव में ताल ठोक दिया। समाजवादी पार्टी द्वारा जहां मुस्लिम वोटरों के अधिक से अधिक सपा में मिलने की बात को लेकर आश्वत होकर चुनाव में अपनी जीत मानकर चल रही थी वहीं बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली द्वारा सपा के मुस्लिम वोट में भारी मात्रा में सेंध लगाकर सपा के जीत के सपने को चकनाचूर दिया। बता दें कि मुस्लिम वोटरों के बंटवारे के बाद शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का भी लोकसभा जाने का सपना चकनाचूर हो गया। अपने फैसले को लेकर मुस्लिम मतदाताओं के बीच काफी मायूसी दिख रही है।
सिर्फ भाजपा में ही पड़े पार्टी के नाम पर वोट:
आजमगढ़ सदर लोकसभा उपचुनाव के नतीजें से यह साफ हो गया कि सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में ही पार्टी के नाम पर वोट पड़े। सपा और बसपा में अपने-अपने प्रत्याशियों को वोट देने की होड़ मची रही है। अगर यह स्थिति बनी रही तो आने वाले चुनावों में सपा-बसपा के लिए भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं उपचुनाव के आये परिणाम के बाद सपा-बसपा के मूल वोटरों के बीच एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जो इन दलों के लिए भविष्य में खाई के रूप में काम करेगा।
अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई सपा:
प्रदेश में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशियों द्वारा अपनी जीत के लिए जनता के बीच घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार किया गया। जनपद की दसों सीटों पर सपा ने जीत भी हासिल की। दसों सीटों पर मिली जीत से अति आत्मविश्वास से भरे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जहां आजमगढ़ चुनाव प्रचार में नहीं आयें वहीं सपा के विधायक लोकसभा के उपचुनाव में अपने प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव के लिए घर-घर जाना मुनासिब नहीं समझें। अधिकतर क्षेत्रों में सपा की सिर्फ नुक्कड़ सभाएं ही देखने को मिली तो कहीं ऐसे भी क्षेत्र थे जहां सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव पहुंच ही नहीं पाए और समाजवादी पार्टी अति आत्मविश्वास की शिकार हो गयी। उपचुनाव में धर्मेन्द्र यादव को काफी नजदीकी हार का सामना करना पड़ा।

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