आजमगढ़: अब तो सरकारी दुकानों पर उपलब्ध है मौत का सामान

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कुछ दिनों तक जागे दिखेंगे जिम्मेदार, फिर शुरू होगी मृत्यु की रासलीला
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। अपने जिले में कुटीर उद्योग का रूप धारण कर चुका नकली शराब का अवैध कारोबार सियासत, आबकारी व पुलिस के गठजोड़ की वजह से फलता-फूलता है। जब कभी नकली व जहरीली शराब के सेवन से मौत का नंगा नाच शुरू होता है तो प्रशासन की नींद खुलती है और कुछ लोगों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई और कुछ शराब माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई का खेल सामने आता है। मौत का तांडव शांत होने के बाद भूमिगत हुए शराब के काले कारोबार से जुड़े लोग बिलों से बाहर आ जाते हैं और फिर यह धंधा चलने लगता है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जिम्मेदारों को नहीं होती। खूब होती है, वह शांत इसलिए रहते हैं कि तब तक इस कारोबार से जुड़े पेशेवर धंधे के एवज में मुहैया किए जाने वाले सुविधा शुल्क में कुछ वृद्धि कर देते हैं। जनपद के इतिहास में रविवार को शराब से होने वाली मौतों का खेल कोई नया नहीं है। जब तब नकली शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए घातक रसायनों की मात्रा बढ़ जाने से मौतों का सिलसिला चल जाता है। अहरौला क्षेत्र के माहुल कस्बे में सरकारी मदिरा की दुकान से बेची गई जहर की शीशीयां चंद समय में अपना रंग दिखाने लगीं और इसकी वजह से कईयों की मांग सूनी हो गई तो किसी के सिर से अभिभावक का साया हटा या फिर किसी के बुढ़ापे की लाठी टूटी। जिले में रविवार की रात जहरीली शराब पीने से दस लोगों की मौत की घटना नई नहीं है। इससे पहले भी जहरीली शराब के सेवन से कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। पूर्व की घटनाओं पर नजर डालें तो वर्ष 2002 में बरदह क्षेत्र के इरनी गांव में नकली शराब के सेवन से 11लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इसी तरह वर्ष 2013 में जहरीली शराब ने मौत का नंगा नाच किया और मुबारकपुर क्षेत्र में सर्वाधिक 53 लोग असमय काल के गाल में समा गए। वर्ष 2017 में सगड़ी क्षेत्र में 36 लोगों मौत की नींद सो गए तो बीते वर्ष 2021 में पवई व दीदारगंज क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले दो दशक में नकली शराब से होने वाली घटनाओं में कुल 122 लोगों की जानें जा चुकी हैं। अब यदि अहरौला क्षेत्र में हुई मौतों का आंकड़ा जोड़ दिया जाए तो मृतकों की संख्या 132 हो चुकी है। जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की हर घटना के बाद पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग ने कुछ दिनों के लिए अभियान चलाया जाता है। लेकिन स्थिति फिर यथावत हो जाती है।
जिला प्रशासन अगर पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए पुलिस के साथ आबकारी विभाग भी सक्रिय रहता तो शायद अवैध शराब के धंधे पर रोक लगाई जा सकती है। हैरानी की बात तो यह कि अबतक चोरी-छिपे चल रहे इस काले धंधे के माहिर खिलाड़ी अब सरकारी दुकानों के मालिकान व सेल्समैनों की मिलीभगत से खलेआम जहर बेचने लगे हैं। इसके लिए जिम्मेदार कौन ?। अहरौला क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से मौत की घटना की जानकारी आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को सोमवार की सुबह तब हुई, जब क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में सात लोगों की मौत के आगोश में सो चुके थे। जिला प्रशासन को इस घटना की जानकारी हुई तो सभी के हाथ-पांव फूलने लगे। आनन-फानन तमाम आला अधिकारी घटना क्षेत्र की ओर रुख कर गए। माहुल क्षेत्र में होने वाली मौतों से उपजे आक्रोश को दबाने के लिए जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक भी मौके पर पहुंच गए। इसके बाद शराब की दुकानों का निरीक्षण एवं जहरीली शराब से प्रभावित लोगों को अस्पताल पहुंचाने का क्रम शुरू हो गया। नकली शराब से बीमार हुए लोगों का पता लगाने के लिए प्रशासन ने ग्रामीण चौकीदारों का सहारा लिया और देखते ही देखते यह संख्या बढ़ गई। देर रात तक सरकारी एंबुलेंस से बीमारों को जिला अस्पताल भेजा गया। देखते ही देखते जिला अस्पताल में भर्ती कराए गए बीमारों की संख्या 40 से ऊपर हो गई। बीमारों का समुचित उपचार कराने के उद्देश्य से मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत भी जिला अस्पताल पहुंच गए और उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को सभी सुविधाएं जुटाकर बीमारों के उपचार में जुट जाने का निर्देश दिया। जिले में अब तक जितनी भी बड़ी शराब की बरामदगी या गिरफ्तारी हुई है, वह सभी नागरिक पुलिस के खाते में दर्ज है। देवारांचल क्षेत्र में कुटीर उद्योग का रूप धारण कर चुका शराब का धंधा संबंधित विभाग और राजनैतिक संरक्षण के चलते फल-फूल रहा है। खैर जो होना था वह हो गया और अब जिम्मेदार लोगों पर हमेशा की तरह कार्रवाई का चाबुक चलना था।लगे हाथ जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने लापरवाही बरते जाने पर क्षेत्रीय आबकारी निरीक्षक नीरज सिंह और आबकारी सिपाही सुमन कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फरमान सुना दिया तो पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने भी थाना प्रभारी अहरौला, माहुल चौकी इंचार्ज तथा बीट के सिपाहियों को निलंबित किए जाने की घोषणा कर दी। ऐसे में सरकारी दुकानों से देशी व विदेशी शराब खरीदकर सेवन करने वालों सोचना होगा कि कहीं मौत का सामान उनके हाथ भी तो नहीं लगा। सोचना भी जरूरी है कारण कि न जाने कब शराब के बहाने मौत से सामना हो जाए।

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