आजमगढ़ : मुबारकपुर मुस्लिम बुनकर बाहुल्य क्षेत्र से अगला विधायक कौन

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पिछले 25 साल से जनता चुन रही बसपा का विधायक

अब तक सपा नेताओं की गुटबाजी ही बनी है हार का कारण
मुबारकपुर (आज़मगढ़)। मुबारकपुर विधानसभा का नाम रेशमी औद्योगिक नगरी मुबारकपुर के नाम पर है। मुबारकपुर बुनकर बाहुल्य कस्बा है। बुनकर को रोजी-रोटी पर मार पडी जिससे रेशमी साड़ी का कारोबार लम्बे समय से चौपट होकर रह गया। बिजली, बाज़ार, यातायात, पूँजी गम्भीर समस्याओं के चलते बुनकर बदहाल है। बुनकरों की बदहाली दूर करना चुनाव में हार जीत का मुख्य मुद्दा माना जाता है।
मुबारकपुर विधान सभा के अंर्तगत मुबारकपुर नगर पालिका परिषद, जहानागंज नगर पंचायत व दो खण्ड स क्षेत्र सठियांव और जहानागंज को शामिल किया गया है। कुल 166 ग्राम पंचायत को मिलाकर गठित विधान सभा मुबारकपुर में एक लाख दस हजार मुस्लिम मतदाता, 78000 दलित, 60000 अहीर मतदाता और अन्य जाति बिरादर के मतदाता मुबारकपुर विधान सभा का प्रतिनिधित्व करने के लिए पिछले पच्चीस साल से लगातार बसपा का विधायक ही चुनकर विधान सभा में भेजते चले आ रहे हैं। चन्द्रदेव राम यादव (करैली) को जनता ने दो बार चुना। 

दूसरी बार मुबारकपुर विधान सभा से चुनकर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मन्त्री भी रहे। वहीं मौजूदा बसपा विधायक शाहआलम उर्फ गुड्डू जमाली को भी दो बार यहां की जनता ने अपना रहनुमा चुनकर विधान सभा में भेजा। शाहआलम जमाली बसपा विधायक विधान मंडल दल के नेता के रूप में मुबारकपुर विधान सभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आगामी विधान सभा के चुनाव से पहले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बसपा से इस्तीफा देकर सपा का दामन थाम कर चुनाव का सामना करने को लेकर जहां सुर्ख़ियों में बने हुए हैं, वहीं बसपा से ही विधायक से कैबिनेट मन्त्री तक सत्ता का सुख भोग चुके चन्द्रदेव राम यादव करैली बसपा छोड़कर कर सपा में पहले से ही शामिल हुए और अब टिकट पाने की कोशिश में जुट गए है। पूर्व सपा जिलाध्यक्ष अखिलेश यादव भी सपा से टिकट के प्रबल दावेदार के रूप में जाने जाते हैं। यही नहीं समाजवादी व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठबंधन होने के बाद राम दर्शन यादव भी मुबारकपुर से अपनी उम्मीदवारी का दावा करते नजर आ रहे हैं। रामदर्शन यादव 1993 में मुबारकपुर विधान सभा से बसपा-सपा गठबंधन में चुनाव जीत कर विधायक बने, लेकिन सरकार के पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गठबंधन टूट गया और 1996 में मध्याविध चुनाव कराया गया, जिसमें जनता ने बसपा से उम्मीदवार रहे यशवंत सिंह को जिताकर विधान सभा भेजा और वे प्रदेश सरकार में मन्त्री तक भी बने थे। इस प्रकार मुबारकपुर विधान सभा लगातार बसपा का ही परचम फहराकर जनता ने मुबारकपुर विधान सभा से दो मन्त्री बनाने का गौरव प्राप्त कराया। इसके पहले 1991में मुबारकपुर से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक अबदुस्सलाम को विधानसभा में पहुंचा कर अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। बसपा ने इस बार 2022 में अपना उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में अबदुस्सलाम को उतारा है। अभी अन्य राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं किए है।
चुनाव आयोग ने शनिवार को चुनाव की तारीख का एलान जैसे ही किया मुबारकपुर में चुनावी सरगर्मी ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है। इस बार मुबारकपुर से अगला विधायक कौन होगा, इस पर चर्चाओ का बाजार गर्म हो चला। गाँव में, गलियों में, चट्टी-चौराहों पर बहस छिड़ गयी है। जन चर्चाओं में यह बात जोर शोर से चल रही है कि सपा में गुटबाजी से ही मुबारकपुर में सपा को हमेशा दूसरा स्थान तो बसपा को पहला स्थान प्राप्त होता रहा। 2017 में सपा जीत के काफी करीब पहुंच कर रह गई। इस प्रकार बसपा की झोली में सीट लगातार छठवी बार चली गयी। पिछली गलती से सपा ने सबक नहीं लिया तो बसपा से यह सीट छीन पाना आसान न होगा। बसपा ने भी अपना परचम फिर एक बार फहराने के लिए सबसे पहले दाव चल दिया। अबदुस्सलाम को चुनाव मैदान में आने से चुनाव दिलचस्प होता दिखाई पड़ रहा है। इस बार कांग्रेस से सबीहा अन्सारी, जावेद मन्दे, हाजी इफ्तेखार, रामअवध यादव का नाम टिकट को लेकर चर्चाओं में है। भारतीय जनता पार्टी से स्वतंत्र कुमार सिंह (मुन्ना समेंदा), दुर्ग विजय यादव, लक्ष्मण मौर्या, हरेन्द्र सिंह का नाम चर्चाओं में है। टिकट कन्फर्म होने के बाद ही पता चलेगा कि किसका पलड़ा भारी होगा। अभी कुछ कहना सही नहीं। अगला विधायक कौन बनेगा, जीत का ताज कौन पहनेगा आने वाला समय बताएगा।

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