आजमगढ़: आजादी के बाद देश ने विकास तो किया लेकिन स्व को भुला दिया-अवधेश

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अमृत महोत्सव मनाते हुए महान संघर्ष को स्मरण करना है-डॉ. पीयूष
आजमगढ़, 15 दिसंबर। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव विचार मंथन का शुभ अवसर है और यह हमें अवसर प्रदान करता है कि हम अपनी जड़ों से जुड़ें, इतिहास बोध को सही और शुद्ध करने के साथ स्वत्व, स्वबोध और स्वाभिमान को जागृत करने में अगर कहीं भटक गए हैं तो उसे ठीक करें।
बुधवार को जैजी मैदान में अमृत महोत्सव आयोजन स्थल पर मीडिया से मुखातिब होते हुए अवधेश नारायण मिश्र क्षेत्रीय मंत्री विद्या भारती, अंबेश जिला प्रचारक आरएसएस एवं डॉ. पीयूष सिंह यादव ने कहाकि 1857 से 1947 तक विविध चरणों में स्वाधीनता संग्राम के पश्चात 15 अगस्त को देश आजाद हुआ। स्वतंत्रता का संघर्ष केवल राजनीति से प्रेरित नहीं था वह स्व के भाव को लेकर किया गया एक बहुआयामी सतत संघर्ष था जिसके केंद्र में स्वदेशी, स्वराज, स्वाधीनता, स्व शिक्षा, स्व पद्धति, विकास आदि थे, लेकिन आजादी के बाद स्व को ही भुला दिया गया। देश ने विकास तो किया लेकिन मानसिक पराधीनता का भाव ज्यों का त्यों बना रहा जिसके कारण देश के लोग अपनी जड़ मूल और सनातन संस्कृति से दूर हो गए।
आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का भाव यही है कि हम अपने स्व को पहचाने और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर 2047 में जब स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहे हों तो देश को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित करें और हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनते हुए वैचारिक और मानसिक पराधीनता से मुक्ति पा सकें। उन्होंने कहाकि दुर्भाग्य से आज भी वैदेशिक शिक्षा पद्धति स्वतंत्रता संघर्ष का विकृत इतिहास पाठ्यक्रमों का हिस्सा बना हुआ है ऐसे में हम सभी लोग मिलकर अमृत महोत्सव को सफल बनाते हुए महान संघर्ष को स्मरण करें और भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने में योगदान दें।

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