बॉक्सिंग रिंग में बड़े-बड़ों को धूल चटाई, गोल्‍ड मेडल लाई

Youth India Times
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गुजारे के लिए अब पंक्‍चर बनाने पर मजबूर नेशनल चैम्पियन
बुलंदशहर। उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर में ऐसे भी कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने राष्ट्र स्तर पर जिले का नाम चमकाया है लेकिन आज गुमनामी की ठोकरें खा रहे हैं। ये खिलाड़ी बेबस हैं। इन्‍हीं में से एक सदर तहसील के गांव मिर्जापुर निवासी मुक्केबाज खिलाड़ी प्रियंका लोधी गुमनामी की जिंदगी जी रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं जिसके चलते वह बाइक में पंक्चर लगाकर और रूई धुनकर अपनी आजीविका चला रही है। जिला प्रशासन ने भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। परिवार के लोग अब जिला प्रशासन ने राहत की उम्मीद लगाए हुए हैं।
जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी दूरी पर गांव मिर्जापुर है। गांव में बिजेंद्र सिंह लोधी का परिवार रहता है, परिवार की आथिक स्थिति कमजोर है। बिजेंद्र सिंह के पांच बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी प्रियंका लोधी ने मुक्केबाजी में अपनी प्रतिभा दिखाई और उसने परिवार की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया। बताया गया कि प्रियंका लोधी ने जिला स्तर पर मुक्केबाजी की प्रतियोगिताएं जीती और इसके बाद वह मंडल स्तर पर खेलने के लिए गई तो वहां पर भी उन्होंने सफलता के झंडे गाड़े।
इसके बाद प्रियंका का चयन प्रदेश स्तर के लिए हुआ और अक्टूबर 2021 को बालिका सब जूनियर 50 किलो भार वर्ग में गोवा में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग कंपटीशन में उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रतिभाग किया था और तमिलनाडु की खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। प्रियंका ने बताया कि मंडल और स्टेट लेवल पर भी उन्होंने कई मेडल जीते हैं। आर्थिक की स्थिति ठीक न होने के कारण वह अब मोटर साइकिल में टायर पंक्चर व रूई धुनने का कार्य पिता के साथ करती हैं।


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