रमाकांत फर्जी एनकाउंटर: 40 साल से फरार हैं 12 पुलिसकर्मी

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मैनपुरी। 40 साल पहले मैनपुरी पुलिस ने एक अपराधी का एनकाउंटर किया। लेकिन ये एनकाउंटर सवालों के घेरे में आ गया। मामले की सीबीसीआईडी जांच हुई तो एनकाउंटर से जुड़े सीओ सहित 12 पुलिसकर्मी जांच के घेरे में आ गए। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन सीओ सहित ये 12 पुलिसकर्मी कहां हैं इस बाबत यूपी पुलिस कुछ नहीं बता पा रही। कोर्ट ने इन सभी को फरार घोषित कर दिया है। डीजीपी को कुर्की करने के आदेश भी दिए गए हैं। हैरानी की बात है कि आम लोगों को निर्दाेष होने के बाद भी जेल भेजने के लिए बदनाम यूपी पुलिस अपने ही महकमे के लोगों का पता नहीं लगा पा रही।
मामला मैनपुरी कोतवाली के मोहल्ला सोतियाना से जुड़ा है। वर्ष 20 अक्तूबर 1981 में यहां के निवासी रमाकांत पाठक का कोतवाली पुलिस ने एनकाउंटर किया था। मृतक के पिता रामशंकर की शिकायत पर इस मामले की सीबीसीआईडी जांच हुई। जांच में तत्कालीन सीओ शीलभद्र धर द्विवेदी, इंस्पेक्टर प्रमेंद्र सिंह, एसआई होतीलाल यादव, महावीर सिंह, वीरेंद्र सिंह, सतीश मोहन गोस्वामी, मोहर सिंह वर्मा, कांस्टेबल गेंदालाल, रामलाल, ध्रुव नरायन, चंद्रभान, जीप चालक राजपाल सिंह को रमाकांत को घर से ले जाकर हत्या करने का दोषी पाया गया। सीबीसीआईडी जांच के बाद कोर्ट में इन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी।
मैनपुरी के तत्कालीन सीजेएम तेंद्रपाल ने इस मामले की सुनवाई के दौरान समन और वारंट जारी होने के बाद भी इन पुलिस कर्मियों के कोर्ट में हाजिर न होने पर आपत्ति जताई और डीजीपी को पत्र लिखकर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा सिस्टम आरोपियों को बचाने में लगा है। न्यायाधीश ने डीजीपी को फरार आरोपियों के घरों को कुर्क करने के निर्देश भी दिए हैं। खास बात ये है कि इस मामले के एक आरोपी सीओ शीलभद्र धर द्विवेदी तथा इंस्पेक्टर के अलावा शिकायतकर्ता रामशंकर पाठक की मौत हो चुकी है। लेकिन पुलिस ने इस संबंध में कोई जानकारी कोर्ट को नहीं दी है।

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