लामबंदी के चलते नहीं हुआ अल्पसंख्यक मोर्चे का गठन, सपा की बढ़ी चुनौती

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लखनऊ। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी तक अल्पसंख्यक मोर्चे का गठन न होने से समाजवादी पार्टी की चुनौती और बढ़ गई है। इसकी वजह कुछ सियासतदां और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से अपने समर्थकों के पक्ष में की जा रही लामबंदी बताई जा रही है। ऐसे में मोर्चे से जुड़े कार्यकर्ता बूथ पर डटने के बजाय मुख्यालय पर पार्टी नेतृत्व का मुंह ताक रहे हैं।
प्रदेश के अल्पसंख्यकों में करीब 18 फीसदी आबादी मुस्लिम है। दूसरे नंबर पर सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध का नंबर आता है। करीब तीन दशक से मुस्लिम सपा का आधार रहा है। लोकसभा चुनाव-2019 में सपा-बसपा गठबंधन से पांच मुस्लिम सांसद बने।
पार्टी के रणनीतिकार एमवाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर को दुरुस्त रखने के साथ ही दूसरे वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव-2022 नजदीक हैं और सभी दलों के फ्रंटल संगठन और जातीय आधार वाली पार्टियां अपने वोट को गोलबंद करने में लगी हैं। इसके बाद भी सपा अभी तक अल्पसंख्यक मोर्च के पदाधिकारी तय नहीं कर पायी है।
पूर्व मंत्री हाजी रियाज अहमद 2018 में मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। लोकसभा चुनाव के बाद 23 अगस्त 2019 को सभी कमेटियां भंग कर दी गई थीं। इस बीच 29 अप्रैल 2021 को रियाज अहमद का निधन हो गया। इसके बाद फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारियों की घोषणा की गई, पर अल्पसंख्यक मोर्चे का गठन नहीं हो पाया।
सूत्र बताते हैं कि महीने भर पहले मोर्चा से जुड़े रहे लखनऊ और उन्नाव के पदाधिकारियों में से किसी एक को जिम्मेदारी सौंपना तय हुआ था। तभी अल्पसंख्यक समुदाय में गहरी पैठ रखने वाले मुस्लिम बुद्धजीवी अपने चहेतों के लिए जोर आजमाइश करने लगे। यह देख समुदाय से जुड़े पुराने नेताओं ने भी दूसरे नामों पर सिफारिश शुरू कर दी। ऐसे में हाईकमान ने मोर्चे के गठन का फैसला कुछ दिन के लिए टाल दिया है। फिलहाल मोर्चे से जुड़े कार्यकर्ता ऐसा नेतृत्वकर्ता तलाश रहे हैं जो पार्टी के प्लेटफार्म से एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को मुंहतोड़ जवाब दे सके।
मुंबई प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी और आजमगढ़ से विधायक नफीस अहमद सहित कई नेता काफी सक्रिय हैं, लेकिन सांसद आजम खां जैसे नेतृत्व की कमी बराबर खल रही है।
पार्टी के विभिन्न कार्यक्रम में हर वर्ग के लोग जुट रहे हैं। रैली व जनसभाओं में भीड़ जुट रही है। अल्पसंख्यक कार्यकर्ता पूरी तत्परता से बूथ पर काम कर रहे हैं। किसी राजनीतिज्ञ अथवा अन्य का कोई दबाव नहीं है। जल्द ही मोर्चे का गठन किया जाएगा।
राजेंद्र चौधरी, मुख्य प्रवक्ता सपा


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