अपनों ने बनाई दूरी, मुस्लिम दोस्त ने दी मुखाग्नि

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फोन व सूचना के बाद नहीं आया कोई, बड़ी बहन की सास के जनाजे को छोड़ चौधरी शिराज अहमद ने रखी दोस्ती की लाज
प्रयागराज। कोरोना के इस संकट काल में ऐसी घटनाएं हो रही है जिसे सुनकर व देखकर मानवता भी शर्मसार है। हाईकोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार का शुक्रवार की रात शहर के निजी अस्पताल में निधन हो गया। अंतिम समय में जन्मजात रिश्तों ने मुंह मोड़ लिया तो मुस्लिम दोस्त ने कांधा दिया और मुखाग्नि देकर दोस्ती की लाज रख ली।
हेम सिंह जयंतीपुर प्रीतमनगर में अकेले रहते थे। डेढ़ साल पहले पत्नी और कुछ साल पहले इकलौती बेटी का निधन हो गया था। 19 अप्रैल को कोरोना के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने पर इटावा में रहने वाले दोस्त चौधरी शिराज अहमद ने फोन पर बात कर सिविल लाइंस के एक निजी अस्पताल में दो लाख रुपये ऑनलाइन जमा कर उन्हें एडमिट करवाया।
शुक्रवार को दिन में हेम सिंह की तबीयत बिगड़ी तो शिराज को फोन गया। वे तत्काल प्रयागराज के लिए रवाना हो गए लेकिन 400 किमी का सफर तय करके रात करीब 9.30 बजे तक जब पहुंचे तो उनकी सांसें टूट चुकी थी। शनिवार सुबह अंतिम संस्कार के लिए शिराज अहमद ने एक-एक करके कम से कम 20 रिश्तेदारों और परिचितों को फोन लगाया लेकिन कोई कंधा देने को तैयार नहीं हुआ। आखिरकार शिराज अहमद अपने दोस्त का शव एम्बुलेंस में लेकर फाफामऊ घाट पहुंचे। हेम सिंह के साथ रहने वाले संदीप और एम्बुलेंस के दो लड़कों की मदद से अंतिम संस्कार की तैयारी हुई। उसके बाद शिराज अहमद ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी करने के लिए शिराज ढाई दिन प्रीतमनगर में हेम सिंह के घर पर ही रुके हैं। चौधरी शिराज अहमद को जब हेम सिंह की तबीयत खराब होने की खबर मिली तो वे इटावा से आगरा अपनी बड़ी बहन की सास के जनाजे में शामिल होने के लिए रवाना हो चुके थे। आगरा के रास्ते पर सात किमी आगे बढ़ चुके शिराज ने अपने भाई को जनाजे में जाने के लिए कहा और खुद दोस्त से मिलने प्रयागराज के लिए चल पड़े। बकौल शिराज-‘अंतिम संस्कार के लिए हेम सिंह के एक करीबी रिश्तेदार को जब फोन किया तो सपाट जवाब मिला-आप लोग हैं तो हमारी क्या आवश्यकता है। आप लोग पर्याप्त हैं।’
हेम सिंह के करीबी और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम बशारत अली खान ने बताया की हेम सिंह ने पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी की सगी बहन माला बनर्जी से शादी की थी। वह भी हाईकोर्ट में असिस्टेंट रजिस्ट्रार थीं और डेढ़ साल पहले उनका निधन हो गया। तीन दिन पहले कोरोना से सगे साले के इंतकाल के कारण घर पर ही क्वारंटीन बशारत अली ने बताया कि हेम सिंह के कई रिश्तेदारों और परिचितों को फोन और व्हाट्सएप पर सूचना दी लेकिन कोई शव लेने को तैयार नहीं हुआ। हेम सिंह छोटी नदियां बचाओ अभियान से भी जुड़े थे।

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