आजमगढ़ : जनता से जुदा हुआ साहित्य का एक अनमोल सितारा

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आजमगढ़। अखिल भारतीय प्रगतिशील छात्र मंच,आजमगढ़ इकाई ने प्रगतिशील लेखक संघ के जिलाध्यक्ष व विख्यात सामाजिक-राजनीतिक लेखक, कवि और चिंतक श्री लालसा लाल तरंग जी के दिवंगत होने पर राजघाट पर उपस्थित होकर उनको अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि और इन्कलाबी सलामी पेश किया।

5 जुलाई 1938 को आज़मगढ़ के ग्राम हरइयां,ख़िलाफ़तपुर में जन्म लिए प्रसिद्ध प्रगतिशील साहित्यकार, गीतकार,लेखक,रेलवे के ट्रेड यूनियन के जुझारु कार्यकर्ता,राजभाषा अधिकारी और सामाजिक-राजीनीतिक-आर्थिक मुद्दों के प्रखर वक्ता श्री लालसा लाल तरंग जी ने 12 अप्रैल 2021 को PGI चक्रपानपुर में अंतिम सांस ली।

बतादें कि 11 अप्रैल की सुबह 3 बजे उनको सांस संबंधित दिक्कत बढ़ गयी थी, उनके परिजनों ने जब उन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल ले गए तो शहर के 3 बड़े निजी अस्पतालों ने उनको एडमिट ही न लिया।थक हारकर जिला अस्पताल, सदर में ले गए।वहाँ प्रारम्भिक उपचार के बाद उनकी हालत में सुधार हो रहा था।
Covid की जाँच हुई जिसमें वे पॉजिटिव पाए गए थे,उसके बाद राजकीय मेडिकल कॉलेज चक्रपानपुर में उन्हें ट्रांसफर कर दिया गया। PGI जाने से पहले वे खुद टॉयलेट गए और बिना किसी के मदद से एम्बुलेंस में बैठकर रवाना हुए। 9:30 बजे सामायिक कारवां के संपादक डॉ रवींद्र नाथ राय और अखिल भारतीय प्रगतिशील छात्र मंच के साथी राहुल जब उनके परिवार से मिलने गए तो पता चला कि घर पर ताला बंद था। श्री तरंग जी से फोन पर बातचीत हुई तब तक उन्हें covid सेंटर पर बेड नहीं मिल पाया था और उन्होंने स्वयं कहा कि यहाँ की हालात बेहद खराब है।कोई बुनियादी सुविधाएं मरीजों को नही मिल पा रही है।
शाम को छात्र संगठन के साथी राहुल ने जब उनसे व्हाट्सएप पर बात किया तो उन्होंने खुद को पहले से स्वस्थ बताया।जांच की बात कहा और बिल्कुल आश्वस्त होकर उन्होंने परिजनों से भी बोला कि मैं 2 दिन में बिल्कुल ठीक होकर घर आ जाऊंगा। परिवार के लोगों में काफी आशा थी कि वे हम सब के बीच जल्दी ही उपस्थित होंगे।

लेकिन रात भर में उनके साथ न जाने क्या हुआ ?कौनसी लापरवाही दिखाई गई कि सुबह तक उनकी हालत बिल्कुल खराब हो चली थी।उसके बाद उनके दिवंगत होने की खबर 1बजे तक सबको दे दी गयी।
श्री तरंग जी के देहान्त के लगभग 24 घंटे होने तक स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने 1 एम्बुलेंस तक नहीं मुहैया कराया।परिवार के लोग, अखिल भारतीय प्रगतिशील छात्र मंच, जनवादी लोकमंच ,किसान संग्राम समिति,प्रगतिशील लेखक संघ सहित शहर के विभिन्न संगठनों के द्वारा जिला प्रशासन के इस अमानवीय,गैर जिम्मेदाराना, घोर लापरवाही की निंदा किया।
छात्र संगठन के सदस्यों ने एक सुर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर निंदनीय सवाल उठाए और कहा कि जब जिले के इतने बड़े साहित्यकार के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया है तो आम आदमी के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा होगा?उनके मृत्य के इतने घंटे बाद तक उनको एक एम्बुलेंस तक नहीं मुहैया कराया गया?
राजघाट पर उनका पार्थिव शरीर आज 13 अप्रैल को दोपहर 12:30 पहुंचा।जिसमे परिजनों के साथ तरंग जी को बेहिसाब चाहने वाले अखिल भारतीय प्रगतिशील छात्र मंच से राहुल, अवधेश,अनिल,सुरेश,प्रशांत, सुनील सहित उनके छात्र छोटे लाल, शिक्षक साथी और अन्य नागरिक गण की उपस्थिति में उनका अंतिम संस्कार कर उनको आखिरी सलामी पेश किया गया।
तरंग जी के प्रगतिशील विचार जनसामान्य के बीच हमेशा मौजूद रहेंगे।वे बाबा नागार्जुन की विरासतों को सहेजने वाले जनता के कवि और लेखकों में से एक थे।उनकी रचनाएं हम छात्रों के लिए एक वसीयत है, जिससे हम अनवरत सीखते रहेंगे।
पिछले साल कोरोना काल में 22 अप्रैल 2020 को उन्होंने साथी राहुल के माध्यम से हम सभी छात्रों के लिए किताबों के महत्व पर अपनी लिखी कविता एक कविता "ये किताबें हमें आपको हँसना सिखाती है/ये किताबें हमें जीने की कला सिखाती हैं" गाकर अनवरत पढ़ने, अध्ययन करने और सच बोलने व सच्चाई बताने के रास्ते पर हमेशा चलने को प्रेरित किया था।
हम सभी छात्रगण साथी प्रगतिशील कवि,लेखक,ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता, सामाजिक-राजनीतिक चिंतक और गैर समझौतावादी संघर्ष चलाने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार श्री लालसा लाल तरंग जी को इन्कलाबी सलाम पेश करते हैं और उनके विचारों के समाजवादी समाज के निर्माण में भागीदारी करने की प्रतिज्ञा करते हैं।

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