आज़मगढ़ : कोरोना का कोप : दुखदाई खबरों से हो रही हर नए दिन की शुरुआत

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प्रियजनों को खोकर भय के माहौल में रहने को मजबूर हुए लोग
-वेदप्रकाश सिंह 'लल्ला'
आजमगढ़। प्रकृति के कोप एवं कोरोना के कहर से लोग उबर नहीं पा रहे हैं। रात तो जैसे तैसे गुजर रही लेकिन हर सुबह मिल रही दुखदाई खबरों से लोगों के नए दिन की शुरुआत ने भय का माहौल कायम कर रखा है।



जनपद में कोरोना वायरस ने पूरी तरह अपना पांव पसार रखा है। सरकारी व निजी अस्पताल कोरोना वायरस के मरीजों से पटे पड़े हैं। जिले में प्रतिदिन कोरोना से मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में भय का माहौल व्याप्त होना लाजमी है। प्रतिदिन अपने परिजनों व रिश्तेदारों के साथ शुभचिंतकों की मरने की खबर सुनकर लोगों का दिल चाक- चाक हो जा रहा है। प्रकृति के कोप और कोरोना के कहर से कब लोगों को निजात मिल पाएगी यह कहना मुश्किल है। इस बेरहम वायरस ने तो अब लोगों का घरों से निकलना मुहाल कर दिया है। मजबूरी में लोग अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए घर से निकल रहे हैं लेकिन भय के माहौल में। जनपद में चिकित्सा व्यवस्था नाकाफी होने के कारण आम जनमानस पूरी तरह भयभीत है। शहर के एक मात्र श्मशान राजघाट पर जुटने वाले लाशों के ढेर को देख बरबस मुंह से निकल जा रहा कि हे ईश्वर अभी कब तक यह दिन देखना पड़ेगा। अपनों की खोने के गम में भूजल हो चुके लोगों की आंखों के आंसू सूख जा रहे सबसे दयनीय हालत यह कि लोग चाह कर भी अपनों का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे। कोविड-19 प्रोटोकाल के चलते मरने वालों के पार्थिव शरीर को छूने पर मनाही है। इस विपदा की घड़ी में स्वास्थ्यकर्मी परिजनों को शव मुहैया नहीं करा पा रहे हैं, उनकी भी अपनी मजबूरी है। जैसे तैसे लोग अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का कोरम पूरा कर रहे हैं। ऐसे में हम तो यही कहेंगे जीवन अनमोल है। इस माहौल में सामाजिक दूरी एवं चेहरे पर मास्क को अपने जीवन शैली में शामिल करना होगा। जब तक इस महामारी पर अंकुश नहीं लग पाता तब तक लोग बगैर किसी काम के घरों से ना निकलें यही सबके जीवन के लिए बेहतर होगा।

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