लखनऊ मेडिकल कॉलेज पर लगा 5 करोड़ का जुर्माना

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिलिंग के नियमों के विरुद्ध 132 छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश देने पर उत्तर प्रदेश के सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर पांच करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है। साथ ही कोर्ट ने इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले छात्रों को आदेश दिया है कि वे एमबीबीएस कोर्स पूर्रा करने के बाद दो साल तक समुदायिक सेवा करेंगे। ये सेवा कैसी होगी, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तय करेगी। वहीं, जुर्माने की पांच करोड़ रुपये की रकम गरीब छात्रों को प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में सहायता देने में इस्तेमाल की जाएगी। कोर्ट ने इसके लिए यूपी के महालेखाकर को लेकर एक ट्रस्ट बनाने का अदेश दिया है। यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल छात्रों को सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश इसलिए दिया कि छात्रों को पता था कि काउंसिल ने इस कॉलेज को उन्हें एडमिशन देने के लिए अधिकृत नहीं किया है क्योंकि वे नीट की मेरिट के अनुसार एडमिशन के हकदार नहीं थे। लेकिन फिर भी उन्होंने प्रवेश ले लिया था। कोर्ट ने कहा कि छात्रों का 2017-18 का प्रवेश एकदम अवैध व नियमों के विरुद्ध था और उनकी ये याचिका खारिज होनी चाहिए थी लेकिन अब वे दो साल की पढ़ाई कर चुके हैं और इस वक्त उनका प्रवेश निरस्त करने से कोई उद्देश्य हल नहीं होगा। यह याचिका अधिवक्ता राजीव कुमार दुबे ने दायर की थी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस रविंद्र भट्ट की पीठ ने फैसले में कहा कि छात्र जानते थे कि वे गलत तरीके से प्रवेश ले रहे हैं, इसलिए कोर्स पूरा करने के बाद सभी 132 छात्र दो वर्ष की सामुदायिक सेवा करेंगे। सेवा का प्रारूप मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तय करेगी। कोर्ट ने कॉलेज के नियंत्रक विवि छत्रपति साहूजी महाराज विवि, कानपुर को आदेश दिया कि वह इन छात्रों की दूसरे वर्ष की परीक्षाएं करवाए और नतीजे घोषित करे। यह आदेश छात्रों के तीन वर्ष बचाने के लिए दिया जा रहा है और यह अन्य केसों में नजीर के तौर पर इस्तेमाल नहीं होगा।
पीठ ने कहा कि कॉलेज ने छात्रों को प्रवेश उस सूची से दिया जो उसके लिए आवंटित नहीं थी। इसके बाद कॉलेज ने छात्रों को पढ़ाई भी जारी रखने दी जबकि मेडिकल काउंसिल ने सभी 132 छात्रों को डिस्चार्ज करने का निर्देश दिया था। कॉलेज की यह गैरकानूनी कार्रवाई अक्षम्य है, इसलिए कॉलेज को आदेश दिया जाता है कि वह पांच करोड़ रूपये का जुर्माना अदा करे। यह रकम आठ हफ्ते में कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करनी होगी। जुर्माने की यह रकम कॉलेज छात्रों से किसी भी रूप में नहीं लेगा।कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल को निर्देश दिया कि वह एक ट्रस्ट बनाए जिसमें यूपी के महालेखाकार और प्रमुख शिक्षा विशेषज्ञ शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा कि इस आदेश की अनुपालन की रिपोर्ट 12 हफ्तों में कोर्ट में पेश की जाए।

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