आजमगढ़। तिवारीपुर सिधारी स्थित महादेवी हायर सेकेंडरी स्कूल में दीपावली का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल प्रबंधन ने एक भव्य दीपावली उत्सव का आयोजन किया, जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और प्रबंधन ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय प्रबंधक डीपी मौर्य, प्रधानाचार्य रामनयन मौर्य और उप-प्रधानाचार्य एस.एन. यादव ने संयुक्त रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती व पूजन के साथ किया। इस दौरान स्कूल प्रांगण रंग-बिरंगी रंगोलियों और दीपों की रोशनी से जगमगाता रहा, जो उत्सव की भव्यता को और बढ़ा रहा था।
छात्रों ने इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें नृत्य, गीत और नाटक शामिल थे। इन प्रस्तुतियों ने अंधेरे पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की जीत का संदेश दिया। स्कूल में रंगोली, दीया डेकोरेशन और कैंडल डेकोरेशन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें नर्सरी से लेकर कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया। इन प्रतियोगिताओं ने बच्चों में उत्साह और सृजनात्मकता को बढ़ावा दिया। विद्यालय प्रबंधक डीपी मौर्य ने अपने संबोधन में बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि हमारा भाग्य हमारे कर्मों से निर्धारित होता है। उन्होंने भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही और बताया कि दीपावली का पर्व 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और रावण पर उनकी विजय का प्रतीक है। यह पर्व केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक, आध्यात्मिक, पौराणिक और आर्थिक महत्व भी है। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि वे अपने मन के अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान का दीपक जलाएं और दीपावली को सुरक्षित तरीके से मनाएं।
प्रधानाचार्य रामनयन मौर्य ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि दीपावली पर तेज आवाज वाली आतिशबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने स्वच्छ और सुरक्षित दीपावली मनाने का संदेश दिया। उप-प्रधानाचार्य एस.एन. यादव ने बच्चों को प्रदूषणमुक्त दीपावली की शपथ दिलाई और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का महत्व समझाया। इस आयोजन को सफल बनाने में कोआॅर्डिनेटर आनंद मौर्य, दिनेश यादव, रामचरण मौर्य, दीपिका सिंह, मीनाक्षी अस्थाना, संदीप सिंह, अमित सिंह, अंगद वर्मा, मनीष प्रताप सिंह, धीरेंद्र मोहन, शरद गुप्ता, प्रेमा यादव और आदित्य मिश्रा सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह आयोजन न केवल बच्चों के लिए यादगार रहा, बल्कि दीपावली के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को भी रेखांकित करता रहा।


