आजमगढ़। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के बजाय विभाग के कुछ अधिकारी अपनी कमियों को छिपाने में जुटे नजर आ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण अतरौलिया क्षेत्र के एक कंपोजिट विद्यालय से सामने आया है, जहां प्रधानाचार्य का एक वायरल ऑडियो पत्रकारों के प्रति अभद्र व्यवहार के निर्देशों को उजागर कर रहा है। इस घटना ने न केवल शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर भी गंभीर खतरे की घंटी बजा दी है।
बताया जा रहा है कि अतरौलिया कंपोजिट विद्यालय की प्रधानाचार्या किरण बाला सिंह ने अपने एक सहयोगी से फोन पर हुई बातचीत के दौरान यह स्वीकार किया कि उन्हें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी अतरौलिया की ओर से स्पष्ट निर्देश मिले हैं। इन निर्देशों के अनुसार, यदि कोई पत्रकार विद्यालय में कवरेज या जांच के लिए पहुंचे, तो उसे 'जलती लकड़ी से मारकर भगा दिया जाए।' यह ऑडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे स्थानीय स्तर पर हड़कंप मच गया है।
इस मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी जगदीश यादव से संपर्क करने पर उन्होंने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और असत्य करार दिया। श्री यादव ने कहा, "मेरे द्वारा इस प्रकार का कोई आदेश नहीं दिया गया है। कोई व्यक्ति क्या कह रहा है, यह उसका व्यक्तिगत मामला हो सकता है। यदि इस तरह का कोई ठोस प्रमाण सामने आता है, तो जांच कर विधिक कार्रवाई की जाएगी।" वहीं, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
स्थानीय नागरिकों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि इस वायरल ऑडियो की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की जाती है, तो शिक्षा विभाग में व्याप्त कई अनियमितताओं के बड़े खुलासे हो सकते हैं। पत्रकारिता को दबाने का यह प्रयास न केवल मीडिया पर हमला है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाता है।




