सिपाही और दो साथियों ने की छात्र की किडनैपिंग, 20 लाख की फिरौती मांगी

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रातभर कार में इधर-उधर घुमाया, तीन आरोपी गिरफ्तार
आगरा। न्यू आगरा में एक सनसनीखेज अपहरण का मामला सामने आया है, जिसमें सैंया थाने में तैनात सिपाही मोनू तालान और उसके दो साथियों राहुल और राजकुमार ने मिलकर 22 सितंबर की रात एक छात्र हर्षवर्धन का अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने पहले 20 लाख रुपये की फिरौती मांगी, लेकिन बाद में 5 लाख रुपये में सौदा तय हुआ। न्यू आगरा पुलिस ने मंगलवार रात छात्र को सकुशल मुक्त करा लिया और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
23 वर्षीय हर्षवर्धन, जो मूल रूप से अलीगढ़ का रहने वाला है, न्यू आगरा के नगला बूढ़ी में अपने भाई के साथ किराए पर रहता है और एसएससी की तैयारी कर रहा है। सिपाही मोनू तालान और उसके साथी राहुल व राजकुमार, जो न्यू आगरा की इंजीनियरिंग कॉलोनी में रहते हैं, ने हर्षवर्धन के पास हाल ही में बड़ी रकम होने की जानकारी मिलने पर अपहरण की साजिश रची। 22 सितंबर की रात कारगिल चौराहा (सिकंदरा) के पास से हर्षवर्धन को कार में जबरन उठा लिया गया। मोनू ने कार चलाई, जबकि उसके साथियों ने हर्षवर्धन को पिछली सीट पर बंधक बनाया।
अपहरणकर्ताओं ने हर्षवर्धन को रातभर कार में इधर-उधर घुमाया और उसके भाई को फोन कर 20 लाख रुपये की फिरौती मांगी। सिपाही मोनू ने पुलिसिया अंदाज में धमकाते हुए कहा कि रुपये न देने पर हर्षवर्धन को जेल भेज दिया जाएगा। बाद में मोलभाव के बाद अपहरणकर्ता 5 लाख रुपये में उसे छोड़ने को तैयार हुए।
मंगलवार शाम को हर्षवर्धन के भाई ने न्यू आगरा पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से आरोपियों का पता लगाया और पोइया घाट के पास घेराबंदी कर तीनों को धर दबोचा। हर्षवर्धन को मुक्त कराया गया, जो भयभीत था। उसके साथ मारपीट की गई थी और उसे खाना तक नहीं दिया गया। अपहरणकर्ताओं ने धमकी दी थी कि फिरौती न मिलने पर उसे यमुना में मारकर बहा देंगे। गिरफ्तार सिपाही मोनू तालान के खिलाफ पहले से तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं, फिर भी वह अभी तक सेवा में बना हुआ है। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ फिरौती के लिए अपहरण की धारा में मुकदमा दर्ज कर बुधवार को उन्हें जेल भेज दिया।न्यू आगरा पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए छात्र को सुरक्षित बचा लिया। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सिपाही मोनू के खिलाफ पहले से दर्ज मुकदमों के बावजूद उसकी बर्खास्तगी क्यों नहीं हुई।

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