आजमगढ़। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी 2027 के चुनाव को लेकर जहां पूरी तरह से तैयारी में लगी हुई है, वहीं जनपद में नौकरशाह और सत्ताधारी नेताओं के बीच मतभेद किसी से छुपे नहीं हैं, पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारी इसे अपने मान सम्मान से जोड़ते हुए अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों को अवगत भी करा रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व सदर तहसील में घटित हुई राजनीतिक घटना नौकरशाह और सत्ताधारी नेताओं के बीच मतभेद को जग जाहिर कर दिया था। इसी तरह सगड़ी तहसील में तहसीलदार शैलेंद्र कुमार के स्थानांतरण ने जिले की सियासत को गर्मा दिया है। सत्ताधारी नेताओं और मंडल अध्यक्षों की शिकायतों के बाद मात्र 50 दिनों में शैलेंद्र कुमार का सगड़ी से बूढ़नपुर स्थानांतरण कर दिया गया। उनके स्थान पर बूढ़नपुर तहसीलदार शिवप्रकाश सरोज को सगड़ी का नया तहसीलदार नियुक्त किया गया है। इस घटनाक्रम ने जिले में सत्ता और प्रशासन के बीच टकराव की चर्चाओं को और हवा दे दी है। बताया जा रहा है कि इस मामले को स्थानीय नेता अपने मान सम्मान से जोड़ते हुए सामूहिक इस्तीफे सहित प्रदर्शन तक की चेतावनी दे चुके थे।
सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में तहसीलदार शैलेंद्र कुमार और सत्ताधारी नेताओं के बीच विवाद की खबरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि 1 अगस्त को बड़े धरने की घोषणा तक हो गई थी। हालांकि, आजमगढ़ के भाजपा जिलाध्यक्ष ध्रुव कुमार सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय और प्रदेश संगठन के हस्तक्षेप के बाद धरने से पहले ही 1 अगस्त को शैलेंद्र कुमार का स्थानांतरण कर दिया गया और भाजपा के अंदर उठने वाली सुनामी भी थम गई।
जानकारी के अनुसार, शैलेंद्र कुमार का 15 जून को सदर से सगड़ी स्थानांतरण हुआ था। इससे पहले उनका एक कथित थप्पड़ कांड का वीडियो सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में सुर्खियां बटोर चुका था। सगड़ी में सत्ताधारी नेताओं और मंडल अध्यक्षों ने उनके खिलाफ दुर्व्यवहार सहित कई शिकायतें प्रशासन से की थीं। हालांकि, जिले में पहले भी सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों के बीच टकराव के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन सगड़ी तहसीलदार के मामले में इतनी त्वरित कार्रवाई ने सभी को चौंका दिया।
सोशल मीडिया पर सगड़ी के सत्ताधारी नेता इस स्थानांतरण का श्रेय अपने पसंदीदा नेताओं को दे रहे हैं, लेकिन कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। यह मामला जिले में सत्ता की ताकत और प्रशासनिक कार्रवाई के बीच संतुलन की चर्चाओं को तेज कर रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सत्ताधारी नेताओं का दबाव प्रशासन पर हावी हो रहा है? फिलहाल, यह घटनाक्रम आजमगढ़ की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
इस मामले में अपनी बात रखते हुए क्षेत्रीय संयोजक गोरखपुर क्षेत्र रमाकांत मिश्र ने कहा कि ऐसे अधिकारी जनपद क्या पूरे प्रदेश में कहीं भी किसी जिम्मेदारी के पद पर न रखे जाएं, किसी भी अधिकारी का यह कर्तव्य होता है कि वह सरकार की नीतियों को जनता के बीच पहुंचाए, इस बीच सत्ता पक्ष के नेता सहायक के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। ऐसे अधिकारी जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं उन्हें या तो पुनः प्रशिक्षण दिया जाए या फिर उन्हें सेवानिवृत्ति प्रदान कर दी जाए।




