यूपी की एक-दो नहीं, 12 महिलाओं ने फर्जी दस्तावेज पर हासिल की नौकरी

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नियुक्तियां रद करने का लिया गया निर्णय, जांच रिपोर्ट पर अब...
आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। 12 महिलाओं ने नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया, जिसके बाद जांच में सभी अपात्र पाई गईं। इनकी नियुक्तियां रद करने का निर्णय लिया गया है, जो जिला स्तरीय कमेटी की अंतिम मुहर के बाद लागू होगा।
जांच में सामने आया कि इन महिलाओं ने अलग-अलग तरह की गड़बड़ियां कीं। एक महिला ने अपने पति के शिक्षक होने के बावजूद स्वयं को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) का बताकर फर्जी प्रमाण पत्र जमा किया। एक अन्य ने इंटर की परीक्षा में 30% अंक होने के बावजूद ऑनलाइन डाटा में 60% अंक दर्शाए। एक शादीशुदा महिला ने पति का नाम छिपाकर पिता का नाम दर्ज किया, जबकि एक ओबीसी महिला ने अनुसूचित जाति की आरक्षित सीट पर नौकरी हासिल कर ली। इतना ही नहीं, एक केंद्र पर सास-बहू की जोड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में तैनात थी, हालांकि सास ने बाद में अपना नाम वापस ले लिया।
शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी के निर्देश पर एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला, जिला कृषि अधिकारी और एसीएम प्रथम की टीम ने जांच की। जांच रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रतिभा सिंह को सौंपी गई है। सीडीओ ने बताया कि सभी 12 महिलाएं अपात्र पाई गई हैं और उनकी नियुक्तियां रद करने का प्रस्ताव जिला स्तरीय कमेटी की बैठक में रखा जाएगा।
जिलाधिकारी ने कहा, "फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर कमेटी अंतिम निर्णय लेगी।" इस मामले ने प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता की जरूरत को एक बार फिर उजागर किया है।

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