यूपी में तबादलों में भ्रष्टाचार: आईजी स्टांप हटाए गए, 210 ट्रांसफर हुए निरस्त

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पैसे के लेनदेन की थी शिकायत, आईजी स्तर पर हुए तबादलों में सर्वाधिक गड़बड़ी
लखनऊ। स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा एक्शन लिया है। महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया है और उनके द्वारा किए गए 210 तबादलों को रद्द कर दिया गया है। यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की शिकायत पर की गई है, जिन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सीएम ने मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं। प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को आईजी स्टांप का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
रवींद्र जायसवाल ने अपने पत्र में समीर वर्मा पर खुलेआम भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि समूह ख एवं ग के 210 अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों में अनियमितताएं सामने आई हैं। आरोप है कि भ्रष्ट और जांच के दायरे में आए अधिकारियों को बड़े जिलों में तैनात किया गया, जिसमें लाखों रुपये के लेनदेन की बात सामने आई है। जायसवाल ने तबादलों में आईजी स्टांप की भूमिका को संदिग्ध बताया और कहा कि 13 जून को तबादले कर लिए गए, लेकिन 15 जून को केवल खानापूर्ति के लिए सूची उनके सामने रखी गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मानकों के विपरीत प्रभारी उप निबंधकों और लिपिकों से प्रोन्नत उप निबंधकों को महत्वपूर्ण कार्यालयों में तैनात किया गया।
तबादला सीजन में शासन स्तर से 4 उप महानिरीक्षक और 18 सहायक महानिरीक्षकों के तबादले किए गए थे। वहीं, आईजी स्टांप ने बिना मंत्री से चर्चा किए 58 उप निबंधकों, 114 लिपिकों, 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और 30 नए कर्मचारियों के तबादले कर दिए। जायसवाल ने इन तबादलों में पारदर्शिता की कमी और एक इंटर पास लिपिक को रजिस्ट्रार बनाने जैसे गंभीर अनियमितताओं का जिक्र किया। उन्होंने तबादलों की जांच एसटीएफ से कराने और समीर वर्मा को हटाने की मांग की थी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर तंज कसते हुए लिखा, "जिसको ट्रांसफर में नहीं मिला हिस्सा, वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा।" उन्होंने दावा किया कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फाइलों की 'फीस' न मिलने पर फाइलें लौटा दीं।
स्वास्थ्य विभाग में भी तबादलों को लेकर विवाद चल रहा है। निदेशक (प्रशासन) भवानी सिंह खंगारौत को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया है और उनका कार्यभार विशेष सचिव आर्यका अखौरी को सौंपा गया है। सूत्रों का कहना है कि उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की नाराजगी के चलते यह कार्रवाई हुई। इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग में तबादले नहीं हो सके हैं, क्योंकि महानिदेशालय की ओर से भेजी गई सूची पर पाठक ने केवल "संज्ञान लिया" लिखकर छोड़ दिया।
मुख्यमंत्री ने तबादलों में पारदर्शिता और मेरिट के आधार पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। स्टांप विभाग में हुई अनियमितताओं की जांच के आदेश के साथ सभी तबादले रद्द किए गए हैं। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाती है।

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