बरेली। बरेली में दिल्ली की सीलमपुर निवासी रहीमा ने मजहब बदलकर हिंदू धर्म अपना लिया। मजहब की दीवारें तोड़कर वह रिद्धि बन गईं और बृहस्पतिवार को शहर के एक मंदिर में बहेड़ी के गांव चुरेली निवासी प्रेमी दीपक के साथ शादी कर ली। दीपक से शादी के बाद रहीमा ने कहा कि वह बालिग हैं। उन्होंने बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से दीपक से शादी की है। अपने परिवार से जान का खतरा भी जताया। दीपक और रहीमा दिल्ली में एक सिलाई फैक्टरी में काम करते थे। दो साल पहले इनके बीच नजदीकियां बढ़ीं और प्रेम कहानी शुरू हो गई।
रहीमा ने बताया कि दो साल पहले दोनों की मुलाकात के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। दीपक ने प्यार का इजहार किया तो रहीमा ने भी हामी भर दी। इसके बाद दोनों का धर्म अलग होने के कारण शादी में अड़चन आ रही थी। रहीमा के मुताबिक उनके घरवाले दीपक से रिश्ते के खिलाफ थे। दीपक के घरवाले भी खुश नहीं थे। बाद में वह शादी के लिए राजी हो गए।
इसके बाद रहीमा ने घर छोड़ दीपक के साथ बरेली चली आईं। दोनों शहर के एक मंदिर पहुंचे, यहां रहीमा ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम रिद्धि कर लिया। मंदिर के महंत ने दोनों की शादी करा दी। दीपक ने रिद्धि की मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाया। रहीमा ने अपने पैरों में बिछिया पहने। रहीमा ने बताया कि वह हिंदू धर्म में खुद को काफी सहज महसूस कर रही हैं।
उत्तराखंड निवासी प्रेमी युगल ने बरेली आकर शादी कर ली। राजेंद्र के प्यार में अलीजा ने पहले हिंदू धर्म अपनाया और बाद में मनीषा बनकर सात फेरे लिए। प्रेमी युगल का कहना है कि अलग-अलग धर्म होने के कारण परिवार वाले उनके दुश्मन बन गए थे। शहर के अगस्त्य मुनि आश्रम के पंडित केके शंखधार ने बताया कि उत्तराखंड में ऊधम सिंह नगर के गांव लालपुर निवासी राजेंद्र और अलीजा उनके पास आए।
दोनों ने बताया कि वह एक ही गांव के हैं। बाद में दोनों के बीच बीच दोस्ती और फिर प्यार हो गया। वह दोनों बालिग हैं। अलग-अलग धर्म के होने के कारण परिवार वाले शादी के खिलाफ थे। राजेंद्र से बात करने पर परिवार वालों ने कई बार उसकी पिटाई भी की। इसके बाद उसने राजेंद्र के लिए घर छोड़ने की ठान ली। राजेंद्र के साथ उसने अगस्त्य मुनि आश्रम में हिंदू धर्म अपना कर शादी कर ली।