आजमगढ़: अपने मंत्रिमण्डल में झांके गुण्डा कहना भूल जायेंगे सीएम

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खुद को रामभक्त कहते हैं अयोध्या में जमीनों का घोटाला करने वाले-अशोक यादव
सपा प्रवक्ता ने कहा सांसद निरहुआ ने किया करोड़ों माता की कोख का अपमान

आजमगढ़। अपनी आसान्न हार को देखते हुए बीजेपी का सिर्फ नेतृत्व बोलना कुछ और चाह रहा है और उसके मुंह से निकल कुछ और रहा है आज मुख्यमंत्री माननीय योगी जी आजमगढ़ आए थे और विपक्ष के लिए गुंडा अपराधी और न जाने कौन-कौन से शब्दों का इस्तेमाल किये हैं, बुराई से लैस भाजपा के दशानन दसों दिशाओं में फैले हुए हैं और ये उनको नहीं दिख रहा है, मुख्यमंत्री को एक बार कम से अपने मंत्रिमंडल में झांक लेना चाहिए जिसमें एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक 49 परसेंट मंत्री गुंडे और अपराधिक छवि के हैं। उक्त बातें समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अशोक यादव ने कही। उन्होंने बताया कि बात अगर मोदी सरकार की किया जाए तो उसमें लगभग 44 प्रतिशत मंत्री गुंडे और आपराधिक छवि के हैं और मजे की बात तो ये है कि गृह मंत्रालय जिसकी जिम्मेदारी होती है देश की कानून व्यवस्था संभालने की उसके दोनों गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी और निशिथ प्रमाणिक के ऊपर हत्या तक के मुकदमें दर्ज हैं। भाजपा के लोग अपने आप को राम भक्त करते हैं लेकिन 8 अगस्त 2022 टाइम्स आफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में भाजपा विधायक और वहां के मेयर ने मिलकर भगवान राम की नगरी अयोध्या में जमीनों का घोटाला किया। 11 अगस्त 2023 इंडियन एक्सप्रेस में छापी कैग की रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या में केंद्र सरकार की योजना स्वदेश दर्शन के तहत लगभग 20 करोड रुपए का भुगतान बिना काम के ठेकेदारों को किया गया। 1 सितंबर 2022 हिंदुस्तान में छपी रिपोर्ट के अनुसार नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी किया कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा का पूरा प्रोजेक्ट ही आंखों में धूल झोंकने वाला है और ये भाजपाई अपने आप को गंगा भक्त कहते हैं। देश ने देखा कि इलेक्टरल बॉन्ड के माध्यम से किस तरह से इन्होंने देश को भी लूटने काम किया और अपने आप को बेशर्मी से देशभक्त भी कहते हैं। बात आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल निरहुआ की किया जाय तो इन्होंने न सिर्फ आजमगढ़ बल्कि देश के करोड़ों माता के कोख का भी अपमान यह कह कर किया है कि बच्चे पैदा करने से बेरोजगारी बढ़ती है। यहीं नहीं अयोध्या में हिंदू धर्म गुरु रामभद्राचार्य के सामने एक बहन के संदर्भ में इन्होंने बहुत ही अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हुए अपनी अर्धांगिनी बताया जबकि चुनाव आयोग में दिए गये अपने हलफनामे में अर्धांगिनी का नाम कुछ और लिखा है।

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