घोसी उपचुनाव: हार के बाद दारा सिंह चौहान ने तोड़ी चुप्पी

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शायरना अंदाज में कही यह बात

लखनऊ। घोसी उपचुनाव में करारी हार झेलने वाले बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान ने चुनाव परिणाम आने के एक दिन के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है। दारा सिंह चौहान ने कहा कि हार का कोई एक कारण नहीं, बल्कि कई कारण होते हैं। विपरीत परिणाम पर उन्होंने, गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में... शेर के जरिये कहा कि हार के कारणों की समीक्षा के बाद ही वे कुछ कह पाएंगे। उन्होंने कहा कि हम बूथवार हार के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्हें चुनाव में पार्टी के सभी लोगों का साथ मिला, फिर भी अपेक्षित परिणाम न मिलने की वजह तलाश रहे हैं। जो भी रिपोर्ट होगी, उसे पार्टी में आगे बढ़ाएंगे। शीघ्र ही मीडिया के सामने भी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि वे परिणाम से निराश नहीं हैं, बल्कि सबक लेते हुए आगे बढ़ेंगे। घोसी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी धारा सिंह को 42 हजार 759 मतों से मात दी। बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में एक लाख आठ हजार 430 वोट पाने वाले दारा सिंह चौहान इस बार 81 हजार 668 पर सिमट कर रह गए है। यह सीट दारा सिंह चौहान के इस्तीफे देने के कारण खाली हुई थी। इस उपचुनाव में वैसे तो मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच था, लेकिन प्रतिष्ठा एनडीए और इंडिया गठबंधन की दांव पर लगी थी। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बने इंडिया गठबंधन की सियासी पकड़ का भी यह नतीजा माना जा रहा है। घोसी उपचुनाव में पिछड़ों का वोट न मिलने से एनडीए प्रत्याशी की हार की बात से निषाद पार्टी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद सहमत नहीं है। उनका कहना है कि यह गलत है। उन्होंने कहा कि एनडीए उम्मीदवार की हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी। जहां पर कमी होगी उसे ठीक किया जाएगा। इस चुनाव परिणाम का लोकसभा चुनाव पर कोई असर नहीं दिखेगा। उन्होंने कहा कि अगर पिछड़ी जातियों ने वोट नहीं दिया तो एनडीए प्रत्याशी को फिर किसका वोट मिला है। छल से चुनाव जीतने वाले विपक्षी जनता के बीच यह भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं कि पिछड़ों ने वोट नहीं दिया है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ वोट जरूर सपा को मिले होंगे, लेकिन पिछड़ों का सर्वाधिक वोट एनडीए को मिला। संजय ने परिणाम को जनता का फैसला बताते हुए कहा कि हम जनता के बीच जाएंगे और उनसे बात करेंगे और नाराजगी की वजह जानेंगे। जो कमी होगी, उसे दूर करके लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे।

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