नजरअंदाज करना पड़ा भारी

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छेड़खानी पर जब भी बेटियों ने साधी चुप्पी तो गंवानी पड़ी जान
गोरखपुर। गोरखपुर जिले में छेड़खानी के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। शोहदे बेटियों पर छींटाकशी तो करते हैं, विरोध करने पर मारपीट करने से भी नहीं चूकते, लेकिन इन सब के बीच जब बेटियों ने शोहदे के खिलाफ खामोशी रखी तो उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। यही वजह है कि समय-समय पर पुलिस भी जागरुकता शिविर के जरिये बेटियों को आगे आने की बात करती है, ताकि कार्रवाई हो सके। समाज में घूम रहे शोहदों को जेल भेजा जा सके। हाल ही में छेड़खानी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिस पर ध्यान न देने पर दुष्कर्म जैसी घटनाएं हुईं। अभी गुलरिहा में ही छेड़खानी का विरोध करने पर मारपीट की घटना सामने आई थी। विशेषज्ञों की माने तो छेड़खानी या फिर दुष्कर्म जैसी घटनाओं का असर मन पर पड़ता है। मानसिक तौर पर इतने सवाल होते हैं कि उससे जूझना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। अगर, घरवाले इसमें सहयोग करते हैं और फिर पुलिस को जानकारी देकर कार्रवाई कराई जाती है तो वहीं मन यह भी सोचता है कि आरोपी को उसकी गलती की सजा मिल गई है। लेकिन, अगर ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश की जाती है तो फिर इसके घातक परिणाम आमने आते हैं। आमतौर में समाज के लोग इतने ताने मारते हैं, जिसे सोच कर भी कई लोग आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। केस एक-25 जुलाई 2022: पिपराइच इलाके में एक किशोरी ने खुदकुशी कर ली। जांच हुई तो सामने आया कि हैदरगंज निवासी आरोपी अक्षय लाल स्कूल आने-जाने के दौरान नाबालिग छात्रा को तंग करता था। डरा-धमकाकर वह दुष्कर्म भी करता रहा। बाद में वह गर्भवती हो गई। समाज के डर से मां और घरवालों को नहीं बताई। अंत समय में बताया तो घरवालों ने उसे चुप करा दिया था। पुलिस में शिकायत नहीं की गई। इसके बाद उसने खुदकुशी की। बाद में पुलिस को परिजनों ने जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को जेल भेजा था। केस दो-29 सितंबर 2020: गगहा इलाके में किशोरी ने खुदकुशी की थी। जांच में सामने आया था कि गांव का एक युवक गलत नीयत से उसे डराता धमकाता था। आरोप था कि संपत्ति हड़पने की नीयत से उसके परिजन भी इसमें उसका सहयोग कर रहे थे। उनका उद्देश्य था कि चारों पुत्रियों से उसके चारों पुत्रों की शादी हो जाएगी तो उनकी सारी संपत्ति उन्हें मिल जाएगी। किशोरी इतनी डरी थी कि उसने खुदकुशी कर ली, लेकिन पुलिस को सूचना नहीं दी गई थी। बाद में पुलिस ने केस दर्ज कर कार्रवाई की थी। वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल अग्रवाल ने कहा कि दुष्कर्म या छेड़खानी का प्रभाव पीड़िता के शरीर पर ही नहीं, बल्कि उसके दिमाग पर भी पड़ता है। सबसे आम पीटीएसडी (पोस्ट ट्राउमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी घरवालों के सहयोग का होता है, क्योंकि बच्ची पहले से ही परेशान होती है। ऐसे में जब उसे ही गलत ठहराया जाता है तो वह आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। ऐसी बच्चियों को काउंसिलिंग और दवाओं की मदद देनी चाहिए, ताकि वह जीवन की नई शुरुआत कर सकें।

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