चकबंदी अधिकारी की संपत्ति देख उड़े होश

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लाखों का नहीं करोड़ों का किया खेल
आगरा। अलीगढ़ की खैर तहसील के तत्कालीन चकबंदी अधिकारी वीरेंद्र प्रकाश सिद्धार्थ भ्रष्टाचार के आरोप में फंस गए हैं। आगरा सेक्टर के विजिलेंस थाने में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित अन्य धारा में मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि वह लोकसेवक के पद पर रहते हुए कॉलेज और स्कूल की प्रबंध समिति के विभिन्न पद पर तैनात रहे। उन्होंने आय से अधिक 3.85 करोड़ की संपत्ति का अर्जन और व्यय किया। केस में विजिलेंस विवेचना कर रही है। वीरेंद्र प्रकाश सिद्धार्थ कासगंज के थाना सहावर क्षेत्र के रहने वाले हैं। वो वर्ष 2006 से 2009 के बीच अलीगढ़ स्थित तहसील खैर में चकबंदी अधिकारी थे। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। शासन में शिकायतें की गईं। उनके खिलाफ शासन ने वर्ष 2017 में खुली जांच के आदेश किए थे। इस पर विजिलेंस ने वर्ष 2022 में आख्या शासन को भेजी।
जांच में पता चला कि वीरेंद्र प्रकाश सिद्धार्थ चकबंदी अधिकारी रहते हुए कासगंज के ऋषिकांत महाविद्यालय और एडी पब्लिक स्कूल जूनियर हाईस्कूल, सहावर को संचालित करने वाली सोसाइटी के प्रबंधक, अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष के पद पर रहे। लोकसेवक रहते हुए व्यापार किया। उन्होंने आय के वैध स्रोतों से 2.20 करोड़ रुपये की आय की, जबकि संपत्ति और भरण पोषण पर 6.06 करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने अपनी आय से अधिक 3.85 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए। इस संबंध में वीरेंद्र प्रकाश से स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। मामले में सतर्कता अधिष्ठान आगरा सेक्टर के निरीक्षक सत्यपाल सिंह ने शुक्रवार को आईपीसी की धारा 168 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मामला दर्ज कराया है। साक्ष्य के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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