मऊ: दाक्षायनी ने मऊ जनपद के नाम किया रोशन

Youth India Times
By -
0

100 प्रतिशत स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया से मिला स्कालरशिप
रिपोर्ट-संजीव राय
मऊ। घोसी तहसील क्षेत्र के दोहरीघाट थाना क्षेत्र कस्बा के निवासी दिग्विजय नाथ पांडे की बेटी दाक्षायनी पांडे इस बार कक्षा 12 की परीक्षा देने के बाद विदेश जाने की तैयारी में लग जाएंगी। सितंबर 2023 में या मेधावी छात्र बायोइंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण करने के लिए अमेरिका के लिए रवाना होगी। गरीबी में पली-बढ़ी इस छात्रा की इस बड़ी कामयाबी के बाद छात्रा के परिजन व शिक्षक में काफी खुशी का माहौल है। बता दे कि छात्रा दाक्षायनी पांडे की कक्षा 1 से लेकर 5 तक की प्रारंभिक शिक्षा जनपद के दोहरीघाट शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर में हुई। उसके बाद उसका एडमिशन 100 प्रतिषत स्कॉलरशिप के बाद सीतापुर के इस स्कूल में हो गया, जहां पर वह इस समय12वीं क्लास में बोर्ड की परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक एक बार दाक्षायनी ने टीवी पर देखा कि कार में दम घुटने से मासूम बच्चों की मौत हो गई और उसकी मां भी यह दृश्य देखकर रोने लगी। तभी छात्रा ने तय किया कि कुछ ऐसा करेगी जिससे इस तरह की घटना को रोका जा सके। उसके बाद इस होनहार छात्रा ने ऐसे कैसे डिवाइस तैयार किया जिससे कार के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा कम होते ही यह काम करने लगेगा और अंदर हुई ऑक्सीजन की कमी को यह खुद ही पूरा कर देगा। इस प्रोजेक्ट को दाक्षायनी द्वारा दिल्ली तक लेकर लाया गया और वहां इस कार सुरक्षा मॉडल को बनाने पर उसे विनर भी घोषित किया गया। दाक्षायनी द्वारा इस डिवाइस का नाम मिशन प्रोटेक्टर दिया गया है। अमेरिका में कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में बायो इंजीनियरिंग उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए उसका चयन हुआ है। दाक्षायनी वर्ष 2023 के सितंबर महीने में अमेरिका के लिए रवाना होगी। छात्रा इस कामयाबी से उसके परिजन व शिक्षक काफी खुश है। शिक्षकों का मानना है कि वह शुरू से ही अन्य वक्त बच्चों की तुलना में अलग थी और जीवन में कुछ अलग करने की ललक उसके मन में थी जिसको लेकर आज उसने करके दिखाया है। बेटी की सफलता पर पिता दिग्विजय नाथ पांडे ने बताया कि मैं एक सीमांत किसान हूं मेरी लड़की यहीं पर गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढीं है। अब उसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी केलिफोर्निया के लिए पूरे स्कॉलरशिप के साथ पढ़ने का मौका मिला है। वह शुरू से ही नई नई चीजों के प्रति आकर्षित होती रहती है कार्य के लिए जो उसने डिवाइस बनाया है उसका नाम उसने मिशन प्रोटेक्टर दिया था। वह चाहती थी कि वह कुछ ऐसा करेगी जिससे लोगों का कल्याण हो सके। छात्रा की मां रीमा पांडे ने बताया कि बच्ची के अमेरिका जाने को लेकर मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि बच्ची पहले से ही पढ़ने के लिए बोल रही थी और कह रही थी कि मम्मी मैं परिश्रम करूंगी मैं चाहती हूं कि बच्ची वहां से पढ़कर निकले तो पूरे भारत में नाम रोशन करें कक्षा 9 से ही उसका सपना था कि उसकी उच्च शिक्षा भारत मे न होकर विदेश में हो। जिसको उसने अपनी मेहनत के बल पर हासिल किया है। उसकी इस कामयाबी से हम सब काफी प्रसन्न है।

Tags:

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)