आजमगढ़: सरकारी सहयोग से वंचित किसानों का लाल मिर्च की खेती मोह भंग

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सुविधाओं का अभाव व बिचौलियों के शोषण से विलुप्त हो रही लाल सोना की खेती
रिपोर्ट-आरपी सिंह
आजमगढ़। देश के सुदूर क्षेत्रों में लाल सोना के नाम से विख्यात भरुआ लाल मिर्च की खेती के लिए फूलपुर तहसील क्षेत्र में अब किसानों का मोहभंग होने से खेती का रकबा सिकुड़ने लगा है। कारण कि एक तरफ सुविधाओं का अभाव तो दूसरी ओर बिचौलियों द्वारा किए जाने वाले आर्थिक शोषण के चलते रह लाभप्रद खेती अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। लाल मिर्च की खेती में वैज्ञानिक सलाह की कमी और कृषि विभाग की उदासीनता भी इस समस्या के लिए बड़ा कारण है।
फूलपुर तहसील क्षेत्र में पहले गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। क्षेत्र के छोटे-बड़े सभी किसान गन्ना की खेती पूरे मनयोग से करते थे। इस फायदेमंद खेती का रकबा अचानक तब सिकुड़ने लगा जब चीनी मिलों द्वारा गन्ने की खरीददारी तथा समय से भुगतान न करने के कारण क्षेत्र के किसान अब गन्ना की खेती से दूर हो गया। इसके बाद फूलपुर तहसील क्षेत्र में किसानों का लाल भरुआ मिर्च की खेती की ओर रुझान बढ़ने लगा और धीरे- धीरे लाल भरूवा मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर क्षेत्र के किसान करने लगे। इस खेती से अधिक लाभ मिलने के कारण लाल मिर्चा श्लाल सोनाश् के नाम से विख्यात हुआ लेकिन मिर्चा की खेती को बढ़ावा देने या प्रोत्साहित करने का कोई उपाय सरकारी विभाग के साथ ही जनप्रतिनिधियों सहित सरकार द्वारा भी नहीं किया गया। बरसों से स्थायी मंडी की मांग कर रहे किसानों की मांग पूरी न हो सकी, जिसके कारण इस लाभप्रद खेती से जुड़े किसानों का शोषण और बिचौलियों की चाँदी कटने लगी। पहले किसान को उसकी उपज का तत्काल भुगतान हो जाने से वह लाभान्वित हो जाता था और बुवाई- जुताई, बच्चो की शिक्षा तथा अन्य जरूरी कार्यों को आसानी से कर लेता था। कृषि विभाग की उदासीनता और आर्थिक शोषण के चलते लाल भरूवा मिर्चा की खेती से यहां का किसान अब मुंह मोड़त जा रहा है। लाल मिर्चा की खेती करने वाले अमित सिंह, विनोद यादव, कुन्दन यादव, रामलाल, नसीम अहमद, रामराज, अनारसी यादव आदि किसानों ने बताया कि वर्तमान समय में मिर्चा के पौधों में कुंजा रोग तेजी से फैल रहा है। इसके निदान हेतु हजारों रुपये की दवा का छिड़काव करा दिया पर लाभ नहीं हो रहा। पौधों कि पत्तियां सिकुड़ रही और पेड़ भी सुख रहे हैं लेकिन कृषि विभाग का कोई वैज्ञानिक नहीं जो बचाव और पौधों पर लग रहे रोगों की रोकथाम की कोई व्यवस्था की जाए। इस सम्बंध में सरकारी कृषि बीज भण्डार प्रभारी मोतीलाल से बात करने पर बताया गया कि खेती से जुड़ी समस्याओं के निदान हेतु टोल फ्री नम्बर उपलब्ध हैं। किसान टोल फ्री नम्बर पर बात कर तत्काल अपनी समस्या का निदान पा सकते हैं।

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