आजमगढ़: नाग देवता को लाव-दूध अर्पित कर मनी नागपंचमी

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पेड़ो से नदारद दिखे झूले, कानों से दूर रही कजरी की धुन
ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद का कोरम हुआ पूरा
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। वैसे तो सावन मास में सनातनी पर्वों की शुरुआत हो जाती है। इस पवित्र महीने में नागपंचमी से हिंदू त्यौहारों की श्रृंखला जारी हो जाएगी और इसी क्रम में मंगलवार को जनपद में नाग पंचमी पर्व श्रद्धा भाव से मनाया गया। सुबह- सवेरे लोग अपने घरों की साफ-सफाई कर दूध-लावा और पान का भोग लगाकर नाग देवता को अर्पित कर मंगलमय जीवन की कामना किए। इस अवसर पर देवालयों में भी भारी भीड़ नजर आई। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सर्प देवता का दर्शन कराने के लिए पिटारे के साथ भ्रमण कर भिक्षाटन करने वाले सपेरों के झुंड भी इस बार कम देखने को मिले। सुबह सवेरे लावा दूध अर्पित कर नाग देवता का पूजन करने के बाद ग्रहण या सुस्वादु व्यंजन बनाने में जुट गई तो परिवार के बच्चे और युवा नाग पंचमी के अवसर पर खेले जाने वाले परंपरागत खेलों का आनंद लेने के लिए निकल पड़े ग्रामीण क्षेत्रों में तो कुश्ती और कबड्डी जैसे खेलों के आयोजन देखने और सुनने को मिले लेकिन नगर क्षेत्र में इसका अभाव देखने को मिला आधुनिक युग में मोबाइल के चलन की वजह से युवाओं में खेलों के प्रति उत्साह कम देखने को मिला दोपहर बाद क्रिया कार्य से निवृत्त होकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं एक दूसरे के हाथों में मेहंदी तथा पैरों में महावर लगाते नजर आए लेकिन शहरी क्षेत्र में महिलाओं ने इसका कोरम पूरा किया कुल मिलाकर यह कहा जाएगा कि आधुनिकता की होड़ ने इस परंपरागत पर्व पर ग्रहण लगा दिया है। गांव में पेड़ों की डालों पर न झूले दिखे और न सावनी फुहार के बीच झूले पर कजरी गीत की धुनों से मन को सराबोर करने वाले महिलाओं के झुंड। जैसे-तैसे इस पवित्र पर्व का निर्वाह किया गया। नाग पंचमी के अवसर पर नगर के प्रसिद्ध अखाड़ों में शामिल कदमघाट अखाड़ा, बहुरहहवा बाबा अखाड़ा, गणेश मंदिर अखाड़ा जैसे स्थलों पर पहलवानों ने अपने दांव का प्रदर्शन कर नागपंचमी पर्व पर कुश्ती का आनंद लेने वालों का मनोरंजन किया।

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