कोर्ट पहुंचे संजय निषाद, अधिवक्ताओं ने किया कार्य बहिष्कार

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जानिए कोर्ट ने क्या लिया निर्णय

गोरखपुर। कसरवल कांड मामले में यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद बुधवार को न्यायालय में उपस्थित हुए। उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगन्नाथ एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट प्रभाष त्रिपाठी के न्यायालय में वारंट निरस्त करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय ने पर्याप्त आधार पाते हुए उनके विरुद्ध जारी गैर जमानतीय वारंट निरस्त कर दिया। हालांकि अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया था।
मंगलवार की शाम कसरवल कांड मामले में बस्ती आरपीएफ की टीम मंत्री डॉ. संजय निषाद के घर समन लेकर पहुंची। जिला एवं सत्र न्यायालय गोरखपुर के सीजेएम कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने भी समन जारी किया था। आरपीएफ बस्ती की टीम समन तामील कराना चाहती थी। इसी मंशा से टीम पादरीबाजार स्थित कैबिनेट मंत्री के आवास भी गई थी लेकिन मंत्री वहां नहीं मिले। आरपीएफ टीम ने समन को उनके घर के बाहर दीवार पर चस्पा कर दिया था। आरपीएफ बस्ती इंस्पेक्टर एसके मिश्रा ने इस बाबत बताया था कि डॉ. संजय को एमपी-एमएल कोर्ट नंबर दो में बुधवार को ही हाजिर होना है। डॉ. संजय निषाद बुधवार की सुबह ही कचहरी पहुंच गए। उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगन्नाथ एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट प्रभाष त्रिपाठी के न्यायालय में वारंट को निरस्त करने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय ने इस मामले के साक्ष्यों का अवलोकन किया। पर्याप्त आधार होने पर न्यायालय ने डा. संजय के खिलाफ जारी गैर जमानतीय वारंट निरस्त कर दिया। एमपी-एमएलए कोर्ट से जारी समन के मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। फिलहाल प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. संजय निषाद को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सरकारी नौकरी में निषादों को 5 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर वर्ष 2015 में भीड़ ने संतकबीरनगर के कसरवल में बवाल किया था। आंदोलनकारी व पुलिस-प्रशासन आमने-सामने आ गए थे। बवाल के दौरान एक युवक की मौत हो गई थी। इससे नाराज आंदोलनकारियों ने रेलवे ट्रैक बाधित कर दिया था। आरोप तो यहां तक है कि रेल की पटरियां उखाड़ दी गई थीं। इससे ट्रेनों का आवागमन ठप हो गया था। इस मामले में आरपीएफ बस्ती-संतकबीरनगर ने भी मुकदमा दर्ज कराया था। इसकी सुनवाई गोरखपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर दो में चल रही है। दीवानी कचहरी के एक अधिवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट ने बुधवार की सुबह बैठक की। अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत रहने का फैसला लिया था। अधिवक्ताओं ने पूरे दिन न्यायिक कार्य से खुद को विरत रखा।

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