जौनपुर डीएम को हाईकोर्ट का सख्त आदेश

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आदेश का पालन करें या अदालत में हाजिर हों
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर मनीष कुमार वर्मा को 15 दिन में आदेश पालन का अंतिम अवसर दिया है और कहा है कि आदेश का पालन करें या चार अप्रैल को हाजिर हों। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी हाईकोर्ट के अपीलीय प्राधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या करने का उन्हें अधिकार नहीं है। न ही वह अपने जवाबी हलफनामे के विपरीत स्टैंड ले सकते हैं। कोर्ट आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल नहीं की गई। आदेश अंतिम हो गया, जिसकी अवहेलना कोर्ट की अवमानना करना है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने चंद्रमणि की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी विभाग किसी से दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम नहीं ले सकता। ऐसे कर्मचारी विनियमितीकरण के हकदार हैं। कोर्ट ने नियमित करने से इनकार के आदेश को रद्द करते हुए सेवा नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं करने पर यह अवमानना याचिका की गई है। याची जिला विकास कार्यालय जौनपुर में 1992 से इलेक्ट्रीशियन के रूप में कार्यरत है। नियमित वेतन भुगतान किया जा रहा है।
सेवा के 29 साल बाद सेवा नियमित करने की मांग की, जो 22 मार्च 2018 को अस्वीकार कर दी गयी, जिसे चुनौती दी गई। कोर्ट ने याची को नियमित करने का आदेश दिया है। अब जिलाधिकारी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि राम अंजोर कलेक्ट्रेट में कार्यरत था। उसे राजस्व विभाग के मजदूरी बजट से वेतन दिया जाता था। उसे नियमित कर लिया गया है। याची को विकास भवन के कंटिंजेंसी फंड से वेतन दिया जाता था। वह नियमित किए जाने का हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि आदेश से पहले जवाबी हलफनामे में यह बात नहीं कही थी। अब बहाना लेने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने डीएम जौनपुर को आदेश का पालन करने या हाजिर होने का निर्देश दिया है।

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