आजमगढ़ : सपा का एक और नेता हुआ बागी

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इसरार अहमद ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का किया ऐलान
आजमगढ़ : अखिलेश यादव के गढ़ आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के अंदर बगावत थमने का नाम नहीं ले रही है, फूलपुर पवई विधानसभा में पूर्व विधायक श्याम बहादुर यादव और गोपालपुर में पूर्व मंत्री स्वर्गीय वसीम अहमद की पत्नी शमा वसीम की बगावत के बाद निजामाबाद विधानसभा में पूर्व ब्लाक प्रमुख इसरार अहमद ने भी बगावत का बिगुल फूंक दिया है। मौजूदा विधायक आलम बदी आजमी को सपा ने एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया है जिसके विरोध में पूर्व ब्लाक प्रमुख इसरार अहमद ने बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
आजमगढ़ में जिले के कद्दावर सपा नेता इसरार अहमद ने कहा कि उन्होंने 32 साल समाजवादी पार्टी की सेवा की और निजामाबाद की जनता के हर सुख दुख में शरीक हुए इसके बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुझे नजरअंदाज कर एक बार फिर से आलम बदी आजमी को टिकट दे दिया जबकि 2017 के चुनाव में ही यह तय हुआ था कि आलम बदी साहब का यह आखरी चुनाव होगा इसके बाद भी एक बार उन्हें टिकट देकर मेरे साथ पार्टी ने ज्यादती की है इसलिए मैं निर्दल प्रत्याशी के रूप में निजामाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ूंगा और जनता के समर्थन से जीत दर्ज करूंगा। विधायक आलम बदी आजमी पर हमला बोलते हुए इसरार अहमद ने कहा कि वह क्षेत्र में बहुत कम जाते हैं जनता से बहुत ही बदसलूकी करते हैं और विकास का कोई काम नहीं करते जिससे निजामाबाद की जनता में भारी आक्रोश है। इसरार अहमद ने कहा कि को रोना काल में आलम बदी आजमी सहित अन्य नेताओं ने जनता की मदद नहीं की, आजमगढ़ के सांसद अखिलेश यादव भी मदद को आगे नहीं आए सिर्फ मैंने निजामाबाद सहित पूरे जिले के जरूरतमंदों की हर संभव मदद की है। इसरार अहमद ने कहा कि योगी सरकार को लेकर जनता में आक्रोश है और यह आक्रोश समाजवादी पार्टी के पक्ष में था, पार्टी की लहर चल रही थी लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल तक में गलत लोगों को टिकट देकर समाजवादी पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर विराम लगा दिया है । उनका यह भी कहना है आज जो हालात हैं उसे देखते हुए नहीं लगता कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी। उनका कहना है कि अगर समाजवादी पार्टी निजामाबाद से टिकट बदल दे तो आज भी वह समाजवादी पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं और सपा के साथ रहेंगे लेकिन अगर टिकट नहीं बदला जाता है तो चुनाव लड़ना तय है। चुनाव में अगर वह जीत दर्ज करते हैं तो समर्थन अखिलेश यादव का ही करेंगे। कहा कि अगर पार्टी उनपर कार्रवाई करती है तो इसका उन्हें कोई मलाल नहीं है।

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