एक और सपा प्रत्याशी ने वापस किया टिकट, चुनाव लड़ने से किया इंकार

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चित्रकूट। बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी की मुश्किलें कम नहीं हो रही है, चित्रकूट सदर सीट से प्रत्याशी का विरोध अभी थम भी नहीं पाया कि मानिकपुर सीट से एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। यहां सपा से प्रत्याशी बनाए गए कुख्यात डकैत रहे ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल ने चुनाव लड़ने से ही इन्कार कर दिया है। उनका निर्णय सुनकर सियासत में फिर गर्म हो गई है और चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। वीर सिंह ने साफ कर दिया है कि वह मानिकपुर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि पिता ने क्षेत्र में जो जुल्म किया था, उसे लेकर लोग लामबंद होते हैं और इसलिए चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि इस फैसले के बाद उन्हें सपा प्रमुख ने लखनऊ बुलाया है।
चित्रकूट की दोनों विधानसभा सीट के लिए समाजवादी पार्टी ने बुधवार को प्रत्याशी के नाम की घोषणा की थी। चित्रकूट सदर सीट से पूर्व जिला पंचायत सदस्य अनिल प्रधान पटेल और मानिकपुर से पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल को प्रत्याशी घोषित किया था। पहले दिन से चित्रकूट सीट को लेकर अंदर खाने विरोध शुरू हो गया था और दूसरे दिन विरोध सड़क पर दिखने लगा था। वीर सिंह को लेकर क्षेत्र में लोग लामबंद होने लगे थे। शुक्रवार को वीर सिंह ने मानिकपुर सीट से चुनाव मैदान छोड़ दिया। वीर सिंह ने बताया कि दो दिन से टिकट को लेकर मंथन कर रहे थे और शुभचिंतकों से भी बात की। इसके बाद उन्होंने मानिकपुर सीट से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। दरअसल, वह सदर सीट से तैयारी कर रहे थे और अचानक मानिकपुर से टिकट मिलने पर कम समय में चुनावी जमीन तैयार करना थोड़ा मुश्किल है। उन्होंने कहा कि उनके पिता बागी जीवन में क्षेत्र जो जुल्म किया था ,उसे लेकर लोग लामबंद हो जाते हैं। वह चुनाव लड़ते कि लामबंदी से निपटते। इसलिए पार्टी प्रमुख को मानिकपुर सीट से चुनाव न लड़ने की जानकारी दे दी है। पार्टी किसी को भी अब चुनाव मैदान में उतार सकती है और वह एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को बुलाया है। वीर सिंह पटेल की पहचान मारे गए डकैत शिवकुमार पटेल ददुआ के बेटे के रूप में है। वह वर्ष 2005 में पिता की हनक पर निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। वहीं वर्ष 2012 में चित्रकूट सदर सीट से सपा के विधायक चुने गए थे। वहीं 2017 में इसी सीट से फिर चुनाव लड़े थे। उनको 63,430 वोट मिले थे और भाजपा के चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय से 26,936 मतों से चुनाव हार गए थे। इस बार भी वह इसी सीट से टिकट मांग रहे थे।

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