डैमेज कंट्रोल की कड़ी में भाजपा का बड़ा दाव

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भाजपा और सपा के सीधे मुकाबले के उठ रहे सुर के बीच क्या सफल होगी भाजपा की यह रणनीति
लखनऊ। डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा ने कूटनीतिक तरीके से एक बड़ा दांव खेला है। स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान सहित कई विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा ने कई मोर्चों पर डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है। भाजपा और सपा के सीधे मुकाबले के उठ रहे सुर के बीच भगवा खेमे ने बसपा के बूथ स्तर के खेमे पर नजर गड़ा दी है। अब देखना है कि भाजपा की यह रणनीति कितनी सफल होती है। बता दें कि भाजपा पार्टी बागियों को लेकर बेहद चौकन्नी हो गई है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि बगावत करने वालों के संपर्क में कौन-कौन है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में पिछड़े और दलितों के बीच अब ज्यादा सक्रियता बढ़ाने की तैयारी है। पार्टी के बड़े नेताओं के प्रवास भी इनके बीच कराए जाएंगे। वहीं भाजपा की नजर अब बसपा के बूथ स्तर के कॉडर पर है।
दिल्ली में टिकट वितरण और चुनावी रणनीति पर मंथन में जुटी भाजपा की चिंता दलबदल के शोर ने बढ़ा दी है। डैमेज कंट्रोल की कमान अमित शाह सहित पार्टी के केंद्र और प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व ने संभाल ली है। जिन पार्टी विधायकों और नेताओं की स्थिति थोड़ी भी संदिग्ध है, उनसे संपर्क साधा जा रहा है। ऐसे कई नेताओं को दिल्ली भी बुलाया गया है।
दूसरी ओर पार्टी ने अब पिछड़ों और दलितों को लेकर नए सिरे से व्यूह रचना करनी शुरू कर दी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो हर जिले में दलित और पिछडे सौ-सौ नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है। इन्हें संपर्क के लिए उतारा जाएगा। पार्टी के बड़े पिछड़े और दलित चेहरों को भी लगाने की तैयारी है।
भाजपा ने दलितों और पिछड़ों के बीच जाकर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उनके हित में किए गए काम गिनाए जाएंगे। इनमें केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में 27 फीसदी ओबीसी कोटा सहित दूसरे काम शामिल हैं। पार्टी यह भी बताएगी कि कोरोना काल में शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना में भी ज्यादा लाभ दलित-पिछड़ों को ही हुआ है।
इधर, लगातार भाजपा और सपा के बीच सीधे चुनावी मुकाबले के सुर तेज हो रहे हैं। ऐसे में भगवा खेमे ने बसपा के बूथ स्तर के कॉडर पर भी अपनी नजरें गढ़ा दी हैं। ऐसे लोगों को भाजपा के साथ लाने की मुहिम शुरू की जा रही है।

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