आजमगढ़ से गिरफ्तार हुआ गुमशुदा पति

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पत्नी को धोखे में रख 5 साल से था गायब, माता-पिता की भी तलाश कर रही पुलिस
वाराणसी/आजमगढ़। पत्नी से अनबन और मुकदमेबाजी से बचने के लिए पति ने अपनी ही गुमशुदगी की झूठी साजिश रची। परिजनों की मिलीभगत से गायब पति को वाराणसी के सारनाथ थाने की पुलिस ने पांच साल के बाद आजमगढ़ से मंगलवार की रात गिरफ्तार किया। वहीं धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में वांछित माता और पिता की गिरफ्तारी को पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं। पुलिस के अनुसार बेटे की गुमशुदगी का फर्जी मुकदमा माता-पिता ने दर्ज कराया था, जबकि बेटा उनके संज्ञान में चोरी छिपे आजमगढ़ स्थित भवरनाथ में किराए के मकान में रह रहा था। एडीसीपी वरुणा जोन प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि सारनाथ थाना अंतर्गत बेनीपुर निवासी लक्ष्मी प्रसाद उपाध्याय ने 12 अप्रैल 2017 को सारनाथ थाने में मुकदमा दर्ज कराया कि बेटा अरविंद उपाध्याय घर से गायब हो गया है।
जिसकी बरामदगी के लिए हाईकोर्ट से आदेश के क्रम में पुलिस टीमों का गठन किया गया। सारनाथ थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह, उप निरीक्षक संग्राम सिंह यादव और उनकी टीम में शामिल देवाशीष, रामानंद यादव को सूचना मिली कि पिछले पांच साल से गायब अरविंद इस समय आजमगढ़ के कंधरापुर थाना अंतर्गत भवरनाथ में रह रहा है। इस पर टीम ने दबिश देकर अरविंद को बरामद कर लिया। पूछताछ के दौरान अरविंद ने बताया कि उसकी शादी 19 नवंबर 2009 को फूलपुर थाना अंतर्गत ताड़ी गांव निवासी शेषनाथ तिवारी की पुत्री प्रियंका से हुई थी। शादी के बाद से ही पत्नी से तालमेल नहीं बैठा। इस पर पत्नी ने दहेज उत्पीड़न सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया। जिसकी सुनवाई न्यायालय में चल रही थी। एडीसीपी प्रबल प्रताप सिंह के अनुसार पूछताछ के दौरान सामने आया कि न्यायालय और पुलिस को गुमराह करने के उद्देश्य से अरविंद उपाध्याय, उसके पिता लक्ष्मी उपाध्याय और मां राधिका देवी ने आपस योजना बनाई। षड्यंत्र के तहत बेटे अरविंद को पिता ने पहले अपनी संपत्ति से बेदखल किया, जिससे कि न्यायालय द्वारा प्रियंका को मकान में रखने के संबंध में आदेश पारित किया था, ताकि प्रियंका को मकान में हिस्सा न देना पड़े। न्यायालय की बात को छिपाकर अरविंद के परिजनों ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर साल 2020 में बेनीपुर स्थित मकान को बेच दिया। इसके बाद अरविंद गायब हुआ और उसके पिता लक्ष्मी ने थाने में उसकी गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराया। एडीसीपी ने बताया कि परिजन योजनाबद्ध तरीके से अरविंद को न्यायालय और पुलिस से छिपाते रहे और लगातार न्यायालय के समन व गैर जमानती वारंट की अवहेलना की। गुमशुदा की बरामदगी के प्रयास के क्रम में पुलिस के समक्ष भी सही तथ्य को बार-बार छिपाया एवं झूठी सूचना देते रहे।

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