यूपी में इस बार योगी और अखिलेश का मुकाबला

Youth India Times
By -
0

ABP- C Voter के ओपिनियन सर्वे में भाजपा को करीब 100 सीटों का नुकसान
प्रियंका से भी कांग्रेस को फायदा नहीं? मायावती भी पीछे
नई दिल्ली। ABP- C Voter के ओपिनियन सर्वे में बीजेपी के खिलाफ हर चुनावी मुद्दे पर लगातार सक्रिय दिख रहीं प्रियंका गांधी को तगड़ा झटका लगा है। वहीं मायावती की बीएसपी भी तीसरे पायदान पर दिख रही है। ऐसे में यह स्पष्ट माना जा रहा है कि यूपी में इस बार बीजेपी और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है
एबीपी-सी वोटर के सर्वे में बीजेपी को बहुमत हालांकि पिछली बार से सीटें कम मिलीं
ओपिनियन सर्वे में समाजवादी पार्टी दूसरे पायदान में, 152 से 160 सीटें मिलती दिख रही हैं।
यूपी में भारतीय जनता पार्टी का जलवा बरकरार है। अगले तीन महीनों के भीतर होने जा रहे विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) से पहले सर्वे में एक बार फिर यहां योगी सरकार बनती नजर आ रही है। पेट्रोल-डीजल और खाद्य पदार्थों की महंगाई समेत कई मुद्दों का जनता के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता दिख रहा है। यूपी की कानून व्‍यवस्‍था को लेकर कई बार सवाल खड़े हुए पर लोगों का बीजेपी सरकार पर विश्‍वास बना हुआ है। कोरोना काल में अस्‍पतालों में ऑक्‍सीजन की कमी से हुई मौतों के बाद सरकार की क्षमता पर कई प्रश्‍न चिह्न लगे, पर सर्वे में इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी को कुछ सीटों पर नुकसान हो रहा है। सपा मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरती नजर आ रही है।
ओपिनियन सर्वे में बीजेपी के खिलाफ हर चुनावी मुद्दे पर लगातार सक्रिय दिख रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को तगड़ा झटका लगा है। वहीं मायावती की बीएसपी भी तीसरे पायदान पर दिख रही है। ऐसे में यह स्पष्ट माना जा रहा है कि यूपी में इस बार बीजेपी और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला है। योगी आदित्‍यनाथ सबसे लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री के रूप में उभरे हैं। इसके बाद लोगों की पसंद अखिलेश यादव हैं।
यूपी विधानसभा में 403 सीटें हैं। एबीपी-सी वोटर के सर्वे के अनुसार, बीजेपी को 213 से 221 सीटें मिलती दिख रही हैं। ओपिनियन सर्वे में बीजेपी को इस बार भी बहुमत स्पष्ट है लेकिन 2017 चुनाव के मुकाबले कुछ सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2017 में बीजेपी को 312 सीटें मिली थीं। बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर सपा दिख रही है जिसे 2017 में 48 सीटों के मुकाबले 152 से 160 सीटें मिलती नजर आ रही है।
बीजेपी का मुकाबला सपा से
ओपिनियन सर्वे से स्पष्ट है कि बीजेपी का मुकाबला सपा से है। बीजेपी भी अपनी रैलियों में यह जाहिर कर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेता हर जनसभा में सपा और अखिलेश यादव पर निशाना साधते दिख रहे हैं। पिछले दिनों अखिलेश यादव के जिन्ना पर दिए बयान को बीजेपी ने जिस तरह इनकैश किया, वह यह बताता है कि बीजेपी यह भांप चुकी है कि इस बार उसे सपा से टक्कर मिल सकती है और इसलिए बीजेपी उसे काउंटर करने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहती।
रणनीतिक तौर पर बीजेपी अपना विपक्ष खुद तैयार करती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब सपा-कांग्रेस का गठबंधन ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी था तब मोदी की अगुआई में सपा से अधिक बीजेपी के निशाने पर बसपा थी। इसे विपक्षी वोटों के बंटवारे की रणनीति बताई गई। अब जब 2022 में भी सपा ही मुख्य विपक्ष है हमला सीधा है।
वहीं कांग्रेस की बात करें तो प्रियंका की सक्रियता और दूसरे विपक्षी दलों से खुद को ऊपर रखने की कोशिश में वह सफल होती नहीं दिख रही है। ओपिनियन सर्वे में यूपी में इस बार कांग्रेस को महज 6 से 10 सीटें मिल रही हैं। यानी यूपी में कांग्रेस की खोई जमीन वापस दिलाने में पार्टी का प्रियंका पर दांव भी कुछ खास कमाल नहीं कर पा रहा है।
वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी में कांग्रेस की कोशिश गठबंधन की है। पिछले दिनों अखिलेश के साथ फ्लाइट में मुलाकात हो या आरएलडी के जयंत चौधरी के साथ एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में भेंट, प्रियंका की तस्वीरें सामने आने के बाद गठबंधन की अटकलें भी लगाई जाने लगीं।
2007 वाला करिश्मा दोहरा पाएगी बीएसपी?
बात करें बीएसपी की तो 'एकला चलो रे' की रणनीति पर काम कर रही मायावती को भी ओपिनियन सर्वे में कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा है। बीएसपी इस बार 2007 की दलित+ब्राह्मण की सफल सोशल इंजीनियरिंग को भुनाने में लगी है। इसके लिए बीएसपी पूरे प्रदेश में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करा रही है, लेकिन लगता है कि जनता को दोबारा विश्वास में लेने के लिए पार्टी को अभी और मेहनत करनी पड़ेगी।
पार्टी के अंदर तमाम सवालों और विपक्ष की छीटांकशी के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ सीएम के रूप में जनता की पहली पसंद बनकर उभरे हैं। करीब 41 फीसदी लोगों ने सीएम के रूप में योगी पर विश्वास जताया है जबकि दूसरे नंबर पर पूर्व सीएम अखिलेश यादव है। अखिलेश को 32 फीसदी लोगों ने अपनी पसंद बताया है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)