सामूहिक दुराचार मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर फैसला कल

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लखनऊ। लखनऊ के गौतमपल्ली थाने से संबंधित सामूहिक दुराचार के मामले में पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित सात लोगों पर एमपी/ एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय 10 नवंबर को अपना फैसला सुनाएंगे। इस मामले में सभी आरोपी जेल में हैं। मंगलवार को मामले की सुनवाई के समय कुछ आरोपियों की ओर से लिखित बहस दाखिल की जानी थी। इसी दौरान आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से एक स्थगन प्रार्थना पत्र देकर मुकदमे की तिथि बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया। इस अर्जी में कहा गया है कि मुकदमे को किसी दूसरे प्रदेश में स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि इस न्यायालय के उस आदेश को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है जिसमें बचाव साक्ष्य पेश करने की अर्जी को खारिज कर दिया गया था।
वहीं दूसरी ओर 8 नवंबर को अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता एसएन राय ने एक प्रार्थना पत्र देकर न्यायालय से अनुरोध किया था कि गवाह अंशु गौड़ ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि पीड़िता को कई प्लाटों की रजिस्ट्री एवं नगद धनराशि का प्रलोभन देकर न्यायालय के समक्ष सही गवाही न देने के लिए राजी किया गया है। लिहाजा, अदालत रजिस्ट्री को साबित करने के लिए रजिस्ट्रार लखनऊ एवं पीड़िता द्वारा दिल्ली की एक अदालत में दिए गए कलम बन्द बयान को तलब करने का आदेश दिया, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं।
पत्रावली के अनुसार 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह,चंद्रपाल, रूपेश्वर एवं अशोक तिवारी के विरुद्ध राजधानी के गौतमपल्ली थाने पर सामूहिक बलात्कार एवं जानमाल की धमकी के अलावा पॉक्सो एक्ट के आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीमकोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की अर्जी पर दिया था। जिसमें पीड़िता ने पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति समेत उसके साथियों पर गैंगेरप एवं उसकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म के प्रयास करने का आरोप लगाया था। अदालत के समक्ष इस मामले में कुल 17 अभियोजन गवाह पेश किए जा चुके हैं। जिसमें वादिनी पर अभियोजन पक्ष का समर्थन न करने का आरोप है।

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