निजी सचिव की खुदकुशी के मामले में इंस्पेक्टर सहित नौ पर मुकदमा

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लखनऊ। ओमप्रकाश के मुताबिक, उनके भाई विश्वंभर दयाल को पुलिस व उनके रिश्तेदार लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव गृह को संबोधित एक पत्र भी मिला। इसमें लिखा था कि मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक उत्पीड़न कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है।
अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे के निजी सचिव विश्वंभर दयाल के खुदकुशी के मामले में एसएचओ औरास सहित नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मंगलवार देर रात को विश्वंभर के भाई ओमप्रकाश ने हुसैनगंज थाने में तहरीर दी। इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच एसीपी हजरतगंज राघवेंद्र मिश्रा को सौंपी गई है।
ठाकुरगंज के बालागंज धोबिया बाबा मंदिर राजा विहार निवासी ओमप्रकाश ने हुसैनगंज थाने में तहरीर दी। भाई विश्वंभर दयाल सचिवालय में निजी सचिव के पद पर तैनात थे। उन्होंने 30 अगस्त को दोपहर में अपने कार्यालय बापू भवन की आठवीं मंजिल पर कमरे में खुद को लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मार ली। लोहिया अस्पताल में तीन सितंबर को उनका निधन हो गया। ओमप्रकाश के मुताबिक, उनकी बहन रामदेवी औरास के बहादुरपुर गांव में पप्पू से ब्याही है।
सूरत, बाबूलाल व इनके अन्य पुत्र का पप्पू से जमीन का विवाद था। इसके चलते विश्वंभर व बहन के खिलाफ विपक्षियों व सहयोगी पप्पू गौतम, बृजेश चौरसिया व अन्य ने पुलिसकर्मी सतीश कुमार, एसएचओ औरास हरप्रसाद अहिरवार, रामशंकर, संजीव यादव व एसआई तमीजुद्दीन से मिलकर झूठे व मनगढ़ंत मुकदमा 11 अगस्त 2019 को दर्ज करवा दिया था। उन्नाव की औरास पुलिस व अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा परेशान किया जा रहा था। इसकी जानकारी विश्वंभर अक्सर देते थे।
ओमप्रकाश के मुताबिक, उनके भाई विश्वंभर दयाल को पुलिस व उनके रिश्तेदार लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव गृह को संबोधित एक पत्र भी लोहिया अस्पताल में विश्वंभर की जेब से मिला। इसमें लिखा था कि मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक उत्पीड़न कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है। आरोप है कि जान से मारने के झूठे मुकदमे में फंसाकर जिंदगी बर्बाद करने की लगातार धमकी दी जा रही थी। निजी सचिव से औरास पुलिस ने दो लाख रुपये की धन उगाही की है। 11 अगस्त 2019 से ग्राम बहादुरपुर में कौन-कौन सिपाही हल्का इंचार्ज, एसएचओ औरास में तैनात रहे हैं। सभी की जांच होनी चाहिए। इस मामले में क्षेत्राधिकारी, पुलिस अधीक्षक उन्नाव को व्यक्तिगत रुप से जानकारी थी। लेकिन इसके बाद जब एसएचओ औरास से मिलने गए तो मदद नहीं की गई। वहीं, जाति सूचक गालियां देकर अपमानित किया गया।
ओमप्रकाश ने मामले की जांच सीबीआई, सीआईडी या रिटायर जज से कराने की मांग की है। आरोप है कि उन्नाव पुलिस पर भरोसा नहीं है। उनके द्वारा लगातार पूरे परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा था। ओमप्रकाश ने तहरीर में अपने भाई के दो मोबाइल नंबर दिए। जिस पर 11 अगस्त 2019 से अब तक आरोपियों व विपक्षियों का द्वारा किए गए कॉल की डिटेल पुलिस ने निकलवाए। सभी साक्ष्य उनको भी बिना किसी छेड़छाड़ के उपलब्ध कराए जाएं। ओमप्रकाश ने आशंका जताई कि उनको और रिश्तेदारों को भी फर्जी मुकदमों में फंसाने जाने व जानमाल का खतरा है।
ओमप्रकाश ने तहरीर में सूरत, बाबूलाल और परम के अन्य बेटे, पप्पू गौतम, बृजेश चौरसिया, पुलिसकर्मी सतीश कुमार, इंस्पेक्टर औरास हरप्रसाद अहिरवार, रमाशंकर, संजीव यादव, एअसाई तमीजुद्दीन व अन्य पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। प्रभारी निरीक्षक हुसैनगंज दिनेश सिंह बिष्ट के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और एससीएसटी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

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