जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का सख्त आदेश

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सपा की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की प्रत्याशी अनीता की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का बड़ा आदेश..!
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के 53 जिलों में 3 जुलाई शनिवार को होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग को निष्पक्ष तरीके से मतदान और मतगणना संपन्न कराने का आदेश दिया है. राज्य के 22 जिलों में आयोग ने निर्विरोध चुनाव की घोषणा की थी जिनमें 21 जिला पर बीजेपी समर्थित और 1 में सपा समर्थिक कैंडिडेट Zila Panchayat Adyaksh बनने में कामयाब रहे हैं.

हाईकोर्ट ने निष्पक्ष चुनाव कराने का आदेश सीतापुर से समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की प्रत्याशी अनीता की याचिका पर दिया है. अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी. कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट भी तलब किया है. न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह आदेश सीतापुर से प्रत्याशी अनीता की याचिका पर पारित किया.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसके कालिया और अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया ने कोर्ट में दलील दी कि सत्ताधारी दल की प्रत्याशी श्रद्धा सागर के पक्ष में चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है. प्रत्याशियों के ऊपर मुकदमे और दूसरे तरह का दबाव बनाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में चुनाव निष्पक्ष होता नजर नहीं आ रहा है. याची की ओर से मांग की गई कि पूरी चुनाव प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाए.
वहीं, ऐसी ही एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी चुनाव आयोग को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में वोटिंग से लेकर काउंटिंग तक की वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया है. सपा प्रत्याशी मालती यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किया है. मालती के वकील नरेन्द्र पांडेय ने संदेह जताया कि मतदान में गड़बड़ी हो सकती है इसलिए वीडियो में सब कुछ कैद होना चाहिए. राज्य निर्वाचन आयोग के वकील तरुण अग्रवाल ने कहा कि पहले ही ऐसा आदेश जारी हो चुका है इसलिए याचिका व्यर्थ है.

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