सपा प्रत्याशी रामनगीना यादव के नामांकन न करने पर तेज हुई सियासत
मऊ। उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में आज पर्चा दाखिल करने का समय था।और मऊ में मनोज राय की थिंक टैंक ने विपक्ष को भी धराशाई कर दिया,और मनोज राय निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए, जबकि सपा ने रामनगीना यादव को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उनके भी नामांकन न करने से सियासत तेज हो गई है।सपा ने जहां भाजपा पर सरकारी मिशनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है,वहीं सपा उम्मीदवार ने भी राजस्व विभाग पर आरोप मढ़ा कि उनका घर गिराने की धमकी देकर नामांकन से रोका जा रहा है। सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि मऊ की जिला पंचायत सदस्यों मेें सबसे ज्यादा जिला पंचायत सपा के ही थे फिर भी मनोज राय का निर्विरोध निर्वाचित होना किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। भाजपा के केवल दो सदस्य चुनाव जीते थे।शहरोज से मनोज राय और धवंरियासाध से अखिलेश राजभर, मनोज राय के निर्विरोध निर्वाचित होते ही समर्थकों मेे खुशी की लहर दौड़ गई, समर्थकों ने फूल मालाओं से लाद दिया,मनोज राय के राजनीतिक कैरियर को देखा जाय तो छात्रसंघ महामंत्री से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाले मनोज राय को बसपा ने 2002 मेे घोसी से विधानसभा का टिकट दिया लेकिन कुछ वोटो से मनोज राय हार गए,उसके बाद कपिलदेव यादव विधायक की हत्या मेें मनोज राय को जेल की हवा तक खानी पड़ी थी।उस समय भी मनोज राय का जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना चकनाचूर हो गया सुनील सिंह चौहान मऊ के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे, 2015 मेे एक बार फिर जिला पंचायत सदस्य चुने गए और बसपा से सदर विधानसभा से लगभग टिकट फाइनल था लेकिन ऐन वक्त पर मायावती ने सदर विधानसभा से मुख्तार अंसारी को टिकट थमा दिया, मनोज राय बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए, घोसी विधानसभा से टिकट ना मिलने के बाद मनोज राय ने उम्मीद नहीं छोड़ी और 2021 के चुनाव में जिला पंचायत सदस्य चुने गए और भाजपा ने उनको जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया,और आज निर्विरोध निर्वाचित होकर मनोज राय ने यह बात दिया कि यह चुनाव अब मऊ की राजनीति की दिशा बदलने वाला होगा, अपने कुशल मैनेजमेंट से मनोज राय ने विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया।