आजमगढ़: अनाथ बेटी को मिला सैंकड़ों कंधों का सहारा

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राजघाट पर बिटिया ने कोरोना संक्रमण से मृत मां को दी मुखाग्नि

आजमगढ़। अनजान शहर में कोविड संक्रमित मां के निधन के बाद किशोर उम्र बेटी कांपने लगी थी। लाजिमी भी कि अर्थी उठाने को भी चार लोग चाहिए होते है। जबकि बिटिया तो मां के निधन से अनाथ हो चुकी थी। उसने आवाज लगाई तो अनजान लोगों में अपने अनगिनत निकले। चार हाथ कंधा देने को सैकड़ों हाथ उठे तो राजघाट पर बिटिया मां को मुखाग्नि दे सकी। इस घटना की चर्चा जिले में पूरे दिन सुर्खियों में छाई रही।
शुरुआत कोविड अस्पताल के डॉक्टर अली हसन व डॉक्टर केके झा ने की। उन्होंने घर में कोविड संक्रमित परिवार को छोड़ 14 वर्षीय लकी को सांत्वना दी। उन्होंने बिटिया की मुश्किल से समाजसेवियों को अवगत कराया तो एक साथ मदद को सैकड़ों हाथ उठ खड़े हुए। समाजसेवी विनीत सिंह रिशू सबसे पहले अतरौलिया हॉस्पिटल जा पहुंचे। वहां से शव लेकर राजघाट पहुंचे। यहां लकी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। बिटिया ने बताया कि वह अपनी मां माया राय के साथ महराजगंज में किराये का कमरे में रहती थी। उसके पिता का निधन वर्षों पूर्व हो चुका है। मां कोरोना संक्रमित हुईं तो मैं अतरौलिया के सौ शैय्या जिला चिकित्सालय में छह मई को भर्ती कराई। शनिवार की सुबह 10 बजे मां का निधन हो गया। बिटिया ने बताया कि परिचितों से मुसीबत बताई तो कोरोना का नाम सुनते ही लोगों ने मुंह फेर लिया। डॉक्टर्स ने समाजसेवी संगठनों तक बात पहुंचाई तो लोगों ने हाथों-हाथ ले लिया। विनीत सिंह ने कहाकि समाज का एक-एक व्यक्ति मेरा परिवार है। मेरे रहते कोई न अनाथ है और नाहीं लाचार। बिटिया ने मां को मुखाग्नि दी है। डॉ. अली हसन ने बताया कि हमने दो पीपीई किट दिया, ताकि संक्रमण की मुश्किल न होने पाए। उधर सोशल मीडिया पर बिटिया का दर्द पता चलते ही भारत रक्षा दल समेत कई संगठनों ने मदद की पेशकश कर डाली था। कोरोना के कहर बरपाने के बावजूद लोगों की इस जीजीविशा की चर्चा पूरे दिन जिले में सुर्खियां बनी रही।

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