बज़्म ए ख़वातीन ने बेगम हज़रत महल के त्याग और देशभक्ति को किया याद

Youth India Times
By -
0

-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’

लखनऊ। बज़्म ए ख़वातीन के मासिक कार्यक्रम में बज़्म की सदर बेगम शहनाज़ सिदरत ने खावतीनो को आत्मसम्मान के साथ जीने की बात कही | बेगम हज़रत महल को उनकी जयंती (7 April ) पर याद करते हुए शहनाज़ सिदरत ने कहा की हज़रात महल ने 1857 की क्रांति में लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों में घूम घूम कर लगातार क्रांतिकारियों और अपने सैनिकों का उत्साहवर्धन किया और निडर हो कर अपने पुत्र और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अंग्रेज़ों से लड़ी | उन्होने कहा की आज हम इस दौर मे हैं जहाँ हमे ऐसी सलाहियत की ज़रूरत है की हम न सिर्फ समाज को आगे बढ़ाये बल्कि खुद भी तालीम याफ्ता बन कर अपना मुकाम हासिल करें | सामाजिक कुप्रथा, दहेज़ के खिलाफ बोलते हुए उनहोने मस्जिद में सादगी से साथ निकाह करवाने की बात कही और कोविद से जुड़े सभी एहतियात लेने तथा सोशल डिस्टन्सिंग रखने पर ज़ोर दिया | उन्होने कहा की क़ुरान में भी हिदायत है की अगर कहीं महामारी हो तो किसी के घर न जाएं और हमारी सरकार का भी स्वछता अभियान पर ज़ोर है इसलिए हमे इन्ही बातों का पालन कर के कोरोना से खुद और समाज को बचने में योगदान देना चाहिए |

अनवर जहान ने अपने वक्तव्य में कहा की आज हम बेगम हज़रत महल को याद कर रहे ताकी आने वाली नस्ल उनको बलिदान को याद रखे | उन्होने कहा की हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हिन्दू या मुस्लमान के लिए नहीं बल्कि , वतन परस्ती और कौमी यकजहती के लिए जान दी है और हमे उसी विरासत को आगे बढ़ाना है | रिज़वाना मजीद ने आने वाली रमज़ान महीने पर हिदायतें देते हुए लोगो को सरल और दयावान रहने की हिदायत दी | उनहोने कहा की रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं है। बल्कि इसका सच्चा अर्थ है अपने ईमान को बनाए रखना। मन में आ रहे बुरे विचारों का त्याग करना और गुनाहों से तौबा करना है |

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)