आजमगढ़: स्ट्रेचर पर तड़पते रहे मरीज, नहीं मिला बेड

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आजमगढ़। मंडलीय जिला अस्पताल में मंगलवार की रात सरकार के दावे का दम निकलता दिखा। व्यवस्था चरमराने के कारण इमरजेंसी कक्ष में तीन घंटे तक मरीज स्ट्रेचर पर तड़पते रहे लेकिन बेड नहीं मिल सका। डॉक्टर ने आक्सीजन उपलब्ध न होने पर दवा की पर्ची लिखकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। मुश्किलें भाप मरीज लौटने लगे तभी एक एक मरीज की मौत हो गई तो हंगामा शुरू हुआ तो खुद एसआइसी को व्यवस्था की कमान संभालनी पड़ी। दरअसल, दूसरी शिफ्ट के डॉक्टर और फार्मासिस्ट के पहुचंने से पूर्व ही पहली शिफ्ट के सभी स्टाफ चले गए थे।
सरकार एवं अधिकारियों के दावे के बावजूद अव्यवस्थाएं सुबह से ही देखने को मिलीं। मरीजों को देखने वाला कोई नहीं था। वार्डों में एक ही आक्सीजन सिलेंडर से दो-दो मरीजों को जोड़ा गया था। ऑक्सीजन लगाने की पाइप नहीं थे। स्टाफ का कहना था कि मरीज पाइप लेकर आएं तो हम लगा सकते हैं। दुघ्र्व्यवस्था के बीच मेडिकल वार्ड में भर्ती हीरापट्टी के एक मरीज की मृत्यु हो गई तो परिजनों ने हंगामा मचाने लगे। एसआइसी पहुंचे तो इमरजेंसी कक्ष में जिम्मेदारों की कुर्सियां खाली पड़ी हैं, जबकि मरीजों से वार्ड भरा है। यह देख उन्होंने खुद ही इमरजेंसी कक्ष की कमान संभाली और मरीजों का उपचार शुरू किया। एसआइसी भी स्टाफ को कोसते नजर आए।
सठियांव के बस्ती गांव के अमरदीप ने बताया कि पिता राजदेव को श्वास लेने में दिक्कत है। शाम 5.30 बजे इमरजेंसी कक्ष में हूं लेकिन रात के लगभग नौ बजने के बाद भी बेड नहीं मिला। ऑक्सीजन न मिलने से अनहोनी भी हो सकती है।
लालगंज निवासी हरिश्चंद जायसवाल अपनी पुत्री वंदना को लेकर इमरजेंसी कक्ष में शाम सात बजे से स्ट्रेचर पर थे, लेकिन तक बेड नहीं मिला, तो रो पड़े। इमरजेंसी कक्ष में तैनात डॉक्टर और फार्मासिस्ट ने पूछने पर बताया कि बेड नहीं है, घर लेकर जाइए। ऑक्सीजन की बहुत जरूरत है। हीरापट्टी की सुनीता अपने पिता रामअवतार को लेकर इमरजेंसी कक्ष में शाम सात बजे से स्ट्रेचर पर थीं, लेकिन उपचार के नाम पर साढ़े आठ बजे तक कोई सुविधा नसीब नहीं हुई। सुनीता ने जब पिता को भर्ती करने की बात कही तो जवाब मिला कि बेड नहीं है। फिर ऑक्सीजन लगाने को कहा तो जवाब मिला कि नहीं है।

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