Report by- ashok jaiswal
बलिया। बिल्थरारोड के प्रतिष्ठित व्यवसायी व समाज सेवी दिनेश जायसवाल के आवास पर गुरुवार से चल रहे राम कथा में शुक्रवार की रात मानस मर्मज्ञ अमरनाथ त्रिपाठी ने बताया कि मां-बाप की सेवा से बढ़कर कोई दूसरा पुण्य नहीं है। मां-बाप के के प्रति बोली गई एक कटु वाणी चाहे आपका उद्देश्य कितना भी पवित्र ही क्यों न हो, आपकी प्रतिष्ठा पर विपरीत प्रभाव डाल देती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पवित्र ग्रंथ रामायण में दिखाई देता है। श्री त्रिपाठी जी कहते हैं कि मां बाप की सेवा से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है। विष्णु भगवान के अवतार श्री राम इसी धर्म का पालन करते हुए मनुष्य योनि में जन्म लेने के बावजूद भी उस समय भी भगवान के रूप में जाने गए। वहीं अगर रामायण में जब हम भरत के त्याग की बात पढ़ते हैं तो निश्चित रूप से उनकी महानता के हम कायल हो जाते हैं। आश्चर्य की बात है कि इतना त्याग के बावजूद उन्हें भगवान का दर्जा इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने भाई राम के बनवास का कारण जानकर अपनी माता के लिए कड़े शब्दों का प्रयोग किया था। निश्चित रूप से मां-बाप पर कड़ा शब्द का प्रयोग करने वाले को कोई कैसे भगवान मान सकता है। इसलिए रामायण में भरत को बस इसी एक कारण के लिए चलते भगवान शब्द से सम्बोधित नहीं किया गया है।