आजमगढ़ : महिला सशक्तिकरण कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता-सुधीर अग्रवाल

Youth India Times
By -
0

श्री अग्रसेन महिला महाविद्यालय में भाषण प्रतियोगिता का किया गया आयोजन
आजमगढ़। श्री अग्रसेन महिला महाविद्यालय, आजमगढ़ में महिला सशक्तिकरण: चुनौतियां एवं समाधान विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में जनपद के 12 इंटर कालेजों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती व महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण से हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए डॉ दीपिका दूबे ने कहा कि प्रतियोगिता का उद्देश्य महिलाओं को अपने समानता, स्वतंत्रता व समाज में महिलाओं के अधिकारों, अवसरों और उनके सशक्तिकरण की आवश्यकता के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। भाषण प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों ने विषय की स्पष्ट समझ के साथ लैंगिक समानता, आर्थिक आत्मनिर्भरता, स्त्री अस्मिता, सामाजिक, राजनैतिक भूमिकाओं, भावनात्मक सशक्ति पर विस्तृत चर्चा करते हुए महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, उज्ज्वला योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्टैंड अप इंडिया योजना आदि को रेखांकित किया। प्रतिभागियों ने कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, पी वी सिंधु, मैरीकॉम आदि अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए जानी जाने वाली महिलाओं को रेखांकित किया।
भाषण प्रतियोगिता में शिब्ली गर्ल्स इंटर कॉलेज, श्री अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज की छात्राओं राबिया दाउद, इकरा अयूब व जान्हवी वर्मा ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। पोस्टर प्रतियोगिता में शिब्ली गर्ल्स इंटर कॉलेज व श्री अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज की छात्राओं ईशा राजभर, तसमिया दीन व महिमा साहनी ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबंधक सुधीर अग्रवाल उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। समाज की आधी आबादी को सशक्त किए बिना कोई भी देश समृद्ध नहीं हो सकता। नारी शक्ति का सम्मान करना, उसे शिक्षा देना, समान अवसर देना यही एक सशक्त और संतुलित समाज की नींव है। कार्यक्रम की समाप्ति पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो निशा कुमारी ने सभी को साधुवाद दिया और कहा कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ पुरुषों से प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि उनके साथ समान अधिकारों और अवसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। समाज तभी संतुलित हो सकता है जब दोनों लिंग समान रूप से सम्मान और अवसर प्राप्त करें।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)