स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आये वरिष्ठ सपा नेता

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अखिलेश को पत्र लिखकर कहा न स्वीकार करें इस्तीफा
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद सपा के अंदर से स्वामी प्रसाद मौर्य को समर्थन मिलना शुरू हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर मांग की है कि स्वामी प्रसाद का इस्तीफा न स्वीकार किया जाए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद सपा के अंदर से स्वामी प्रसाद मौर्य को समर्थन मिलना शुरू हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर मांग की है कि स्वामी प्रसाद का इस्तीफा न स्वीकार किया जाए।
उन्होंने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर कहा... आप जानते हैं और आप के माध्यम से हम सभी जानते हैं कि डबल इंजन की सरकार का विश्वास संविधान सम्मत शासन में नहीं है। यह सरकार पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण समाज के गरीबों का हक छीनकर अपने कुछ उद्यमी मित्रों और उनके हित को ही देश हित मानने वाले सामंती सोच के लोगों को लगतार देती जा रही है। इस डबल इंजन की सरकार की करतूतों की वजह से महंगाई चरमपर है। बेरोजगारी सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। युवा रोजगार की तलाश में युद्ध के आगोश में जी रहे इस्राइल में भी जाने को तैयार हैं। आभाव से परेशान लोग आए दिन आत्महत्या कर रहे हैं और डबल इंजन की यह सरकार इसी को राम राज बता रही है। आसमान छू रही महंगाई और बेतहाशा बढ़ी बेरोजगारी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए रोज रोज हिंदू मुसलमान का पहाड़ा पढ़ रही है, नए-नए पाखंड का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि आपके यशस्वी नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता और और नेता साम्प्रदायिकता और पाखंड के इस ज़हर का असर कम करने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के इस ज़हर का मजबूती से प्रतिवाद कर रहे हैं। इसलिए वह भाजपा और संघ के निशाने पर है। स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े समाज से आते हैं। अपने जुझारू स्वभाव की वजह से इस समाज में उनका एक विशेष स्थान हैं। उनका पदाधिकारी बने रहना समाजवादी पार्टी के हित में है। इसलिए मेरा अग्रह है कि आप उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं करें। उन्होंने कहा कि यह मेरी व्यक्तिगत राय है जो आपके समक्ष रख रहा हूँ। इस सम्बन्ध में जो आपका निर्णय होगा, उसे मैं अपनी राय मानकर इस पत्र को भूल जाऊंगा।

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