आजमगढ़: पुष्प वर्षा और नम आंखों के साथ मां को दी गई विदाई

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प्रतिमा विसर्जन यात्रा के रास्तों पर बच्चों ने की सफाई
सिर पर साफा बांधे महिलाओं की आंखों से बहते रहे आंसू
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’

आजमगढ़। शारदीय नवरात्र में पहले दिन प्रतिमा स्थापना के साथ सुबह शाम पूजा और आरती के बीच भक्तों में उत्साह का जो माहौल दिखा वह उत्साह तो विसर्जन यात्रा में भी रहा लेकिन श्रद्धालुओं के चेहरे का भाव बुझा- बुझा सा दिख रहा था, मौका था मातवरगंज में शिवा स्पोर्ट्स क्लब द्वारा स्थापित डोली पर सवार मां की विदाई का। विदाई के समय पूरे रास्ते बच्चे झाड़ू से सफाई और पुष्प वर्षा करते चल रहे थे। वहीं महिलाएं सिर पर चुनरी का साफा बांधे आंखों से आंसू बहाते चल रही थीं। माता रानी झूले सवार थीं, जिसमें पहिया लगे थे। उसे पीले वस्त्र धारण कर नंगे पैर धक्का देते हुए भक्त विसर्जन स्थल तक ले गए। पीले वस्त्र धारण किए बच्चों को झूले पर विराजमान माता रानी का झूलना ऐसा एहसास करा रहा था मानो मां डोली पर सवार हों और कार्यकर्ता डोली उठाए कहार की भूमिका में हों। विसर्जन यात्रा में डीजे पर बज रहा विदाई गीत माहौल को कारुणिक बना दे रहा था। आतिशबाजी और मराठा ढोल माहौल को वैवाहिक मौके पर विदाई के दृश्य का अहसास करा रहा था। माहौल उस समय और कारुणिक हो गया जब यात्रा शहर का भ्रमण कर पुनः मातबरगंज तिराहे पर पहुंची। वहां विसर्जन जुलूस में शामिल महिलाओं का रोना हर किसी को आंसू गिराने के लिए मजबूर कर दिया। पुरुष-महिला सभी का फफक कर रोना पूरे माहौल को गमगीन कर दिया। रास्ते भर रोते हुए माता रानी को लेकर विसर्जन स्थल तक गजब का दृश्य रहा। युवक प्रतिमा को आंचल का झोंका और धूपदान से आरती करते विसर्जन स्थान सिधारी स्थित तमसा नदी के तट तक गए। रात डेढ़ बजे सिधारी पर विसर्जन यात्रा संपन्न हुई।

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