आजमगढ़ : दोहरे हत्याकांड में पांच दोषियों को आजीवन कारावास

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21 साल पहले घर पर चढ़कर मारी थी गोली
आजमगढ़। जिले के डिंगूरपुर गांव में 21 साल पहले हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में अदालत ने पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही सभी दोषियों पर 31-31 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। गुरुवार को यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट रमेश चंद्र द्वितीय ने सुनाया। इसी मामले में चार आरोपियों की मुकदमा कार्रवाई के दौरान मौत हो चुकी है। एक के नाबालिग होने के कारण उसकी पत्रावली अलग कर दी गई।
अभियोजन के अनुसार महराजगंज थाना क्षेत्र के करमहा डिंगूरपुर गांव में 13 अगस्त 2002 को नागपंचमी के दिन प्रधान रामजीत उर्फ जित्तन व चार वर्षीया बालिका मनीषा की गोली लगने से मौत हो गई थी। मृतक प्रधान की पत्नी कैलाशी देवी ने थाने में गांव के 11 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
आरोप लगाया था कि घटना के दिन लगभग साढ़े बजे पुरानी रंजिश में गांव के रमाकांत सिंह, अशोक सिंह, संत विजय सिंह, सुनील सिंह और पांच छह अन्य व्यक्ति बंदूक व तमंचा से लैस होकर उसके घर पर चढ़ आए और गोलीबारी की। गोली लगने से प्रधान रामजीत समेत कई लोग घायल हो गए। इलाज के दौरान प्रधान रामजीत व मनीषा की मौत हो गई। पुलिस ने 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। मुकदमे के परीक्षण के दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता विक्रम सिंह पटेल व प्राइवेट कौसिल श्रीप्रकाश राय ने वादी कैलाशी समेत 23 गवाहों को पेश किया और दलील को रखा।
अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्को को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 21 साल बाद रमाकांत सिंह, संत विजय सिंह, सुनील सिंह, यशवंत सिंह व दिनेश सिंह को हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 31-31 हजार जुर्माना की सजा सुनाया।

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