तो अकेले रह जाएंगे अखिलेश, चुपके-चुपके इस पार्टी से मिल रहे हैं जयंत चौधरी

Youth India Times
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सियासी साथी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच अब दरार बढ़ती नजर आ रही है। निकाय चुनाव के बाद खबरें हैं कि जयंत चौधरी की अगुवाई वाली रालोद अब अन्य दलों की ओर भी हाथ बढ़ाने की तैयारी कर रही है। हालांकि, अब तक दोनों पार्टियों ने तनातनी को लेकर साफतौर पर कुछ नहीं कहा है। वहीं, इस राजनीतिक ट्राएंगल में कांग्रेस का नाम भी सामने आ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रालोद के दो वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि पार्टी सपा के अलावा दूसरे दलों की ओर भी देख रही है। उन्होंने कहा, ’बड़ी पार्टी अपने छोटे साथी का सम्मान नहीं करती।’ उन्होंने संकेत दिए हैं कि चौधरी अब कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के बारे में सोच रहे हैं। रिपोर्ट में एक अन्य वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया गया, ’हमारे राष्ट्रीय प्रवक्ता अब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क साध रहे हैं। हम हमारे विकल्प तलाश रहे हैं और अगर सब ठीक रहता है, तो आप देखेंगे कि आजाद समाजपार्टी, कांग्रेस और रालोद 2024 लोकसभा चुनाव साथ लड़ेंगे।’ एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ’जयंत जी और कांग्रेस नेतृत्व के बीच बात हुई है। कुछ मौकों पर राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट और चंद्रशेखर आजाद भी मौजूद रहे हैं।’ खास बात है कि रालोद और कांग्रेस के बीच राजस्थान में पहले ही सियारी साझेदारी जारी है। अब खास बात है कि दिल्ली में जारी विपक्षी एकता की चर्चा में अखिलेश यादव का नाम भी बार-बार सुनाई दे रहा है। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कुछ नेता भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करना चाहते हैं। हालांकि, हाल ही में हुए कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह से अखिलेश ने दूरी बना ली थी। जबकि, चौधरी बेंगलुरु पहुंचे थे। दोनों पार्टियों के बीच तल्खी शहरी निकाय चुनाव के दौरान बढ़ी। एक ओर जहां रालोद मेरठ मेयर सीट पर दावेदारी चाहता था। वहीं, अखिलेश ने बगैर चर्चा किए ही सपा से सीमा प्रधान को उम्मीदवार बना दिया। हालांकि, चुनाव में प्रधान को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा मेरठ के मवाना नगर पालिका परिषद सीट और बागपत के खेकड़ा नगर पालिका समेत कई अन्य सीटों पर भी टकराव देखने को मिला।
2 मई को सहारनपुर जिले में प्रचार के दौरान अखिलेश के साथ जयंत नजर नहीं आए। साथ ही जयंत ने प्रेस कान्फ्रेंस से भी दूरी बना ली। इधर, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, ’गठबंधन एकदम मजबूत है। हम खुश हैं कि जयंत जी कर्नाटक गए। यह अच्छा कदम था। अखिलेश जी भी जाते, लेकिन पहले से तय कुछ कामों के चलते वह नहीं जा सके।’
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन हुआ, जिसमें मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी के साथ दोनों दल एक हुए। अखिलेश ने तब ओम प्रकाश राजभर की सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी और महान दल को भी शामिल कर लिया था। हालांकि, लोकसभा के नतीजे आने के बाद बसपा महागठबंधन से अलग हो गई थी। धीरे-धीरे एसबीएसपी और महान दल भी अलग हो गए। जबकि, रालोद ने अखिलेश का साथ नहीं छोड़ा।

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