यूपी में कौन होगा नया डीजीपी?

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इन IPS अफसरों का नाम रेस में सबसे आगे
लखनऊ। पुलिस महानिदेशक स्तर के यूपी कैडर के तीन आईपीएस राज्य सरकार की नाराजगी का दंश झेल रहे हैं। इनमें से दो महत्वहीन पद पर तैनात हैं तो तीसरे पांच महीने से प्रतीक्षारत हैं। तीनों के प्रति यह नाराजगी पुलिस विभाग में चर्चा का सबब बनी हुई है। अटकलें इस बात पर भी लगाई जा रही हैं कि नया डीजीपी कौन होगा? यदि इस महीने चयन नहीं हो पाया तो आनंद कुमार व विजय कुमार डीजीपी पद की दौड़ में आगे होंगे।
वर्ष 1987 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद 11 मई 2022 से डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर कार्यरत हैं। इसी तरह वर्ष 1988 बैच के आईपीएस आनंद कुमार 31 मार्च 2023 को डीजी जेल के पद से तबादले के बाद डीजी सहकारिता प्रकोष्ठ का पद संभाल रहे हैं। इसके विपरीत वर्ष 1989 बैच के आईपीएस आशीष गुप्ता केंद्रीय प्रति नियुक्ति से लौटने के बाद दो दिसंबर 2022 से ही प्रतीक्षारत हैं। वैसे महत्वहीन पदों पर तैनात डीजी रैंक के अफसरों में और भी नाम शामिल हैं।
इनमें वर्ष 1990 बैच की आईपीएस तनुजा श्रीवास्तव डीजी रूल्स एवं मैनुअल तथा सतीश कुमार माथुर डीजी मानवाधिकार शामिल हैं। हालांकि तनुजा श्रीवास्तव को आगामी 30 मई को डीजी चंद्र प्रकाश के सेवानिवृत्त होने के बाद डीजी विशेष जांच के पद का अतिरिक्त प्रभार मिल जाएगा। वर्ष 1989 बैच के आईपीएस चंद्र प्रकाश पहली अप्रैल 2020 से डीजी विशेष जांच के पद पर कार्यरत हैं। इसके विपरीत डीजी रैंक के कुछ अफसरों के पास दो या तीन प्रभार हैं तो इंटेलीजेंस विभाग एडीजी रैंक के अफसर संभाल रहे हैं।
डीजीपी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी संभाल रहे वर्ष 1988 बैच के आईपीएस डॉ. आरके विश्वकर्मा का सेवाकाल इसी माह समाप्त हो रहा है। यदि राज्य सरकार ने उन्हें स्थाई डीजीपी नियुक्त नहीं किया तो वह आगामी 30 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में अगले माह राज्य सरकार को डीजीपी के साथ-साथ पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भी नियुक्ति करनी होगी । अध्यक्ष का पद इसलिए भी काफी अहम है, क्योंकि पुलिस में भर्ती की प्रक्रिया लगातार चल रही और निष्पक्ष भर्तियों का सिलसिला कायम रखना एक बड़ी चुनौती है।

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