तो आमने-सामने होंगे अखिलेश और स्वामी प्रसाद मौर्य

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संघमित्रा मौर्य के इस बयान ने दी प्रदेश की राजनीतिक को हवा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस पर नेताओं की बयानबाजी थमने का नाम ही नहीं ले रही है. ये बयानबाजी समाजवादी पार्टी एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से शुरू हुई थी. बदायूं से बीजेपी सांसद और सपा नेता की बेटी संघमित्रा मौर्य के बयान ने इसे और हवा दी. जिसके बाद यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने उन्होंने अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा था.
भूपेंद्र चौधरी के बयान के बाद बीजेपी सांसद ने कहा, “मैं आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर बदायूं से दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हूं. अगला लोकसभा बदायूं से ही लड़ेंगे. बदायूं में हम लगातार बने हुए हैं, लगातार काम कर रहे हैं.“ अगर संघमित्रा मौर्य का ये दावा सच होता है तो फिर इस सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए अलग चुनौती बन सकती है क्योंकि यहां से पिछली बार अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़े थे.
इस बार भी धर्मेंद्र यादव के बदायूं से लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए सपा और बीजेपी दोनों ही चुनौती बन जाएंगी. तब अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य के आमने सामने होने की संभावना भी बन सकती है. हालांकि ऐसा तब होगा जब स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बेटी का समर्थन करते हैं. इस हालत में सपा नेता को अखिलेश यादव के खिलाफ भी वोट मांगना पड़ सकता है.
दूसरी ओर अगर बीजेपी सांसद का दावा सच हुआ तो पहली चुनौती ये स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए बनेगी. सपा नेता को अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा कि वो अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव के पक्ष में रहेंगे या फिर अपनी बेटी के लिए बीजेपी के साथ जाएंगे. इन दोनों ही परिस्थितियों में सबसे बड़ी चुनौती सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए होने वाली है.

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