उमाकांत यादव की याचिका कोर्ट ने की खारिज

यूथ इंडिया टाइम्स
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इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लाइन बाजार, जौनपुर में दर्ज आपराधिक मामले में पुलिस चार्जशीट पर विशेष अदालत प्रयागराज द्वारा बाहुबली उमाकांत यादव की उन्मोचन (डिस्चार्ज) अर्जी निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने उमाकांत यादव की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा चार्ज निर्मित करने या अपराध से उन्मोचित करने की सुनवाई के समय कोर्ट देखेगी कि विवेचना के दौरान एकत्र साक्ष्य से प्रथम दृष्टया अपराध कारित हुआ है या नहीं। याची का कहना था कि लोक सेवक के नाते चार्जशीट दाखिल करने से पहले अभियोग चलाने की शासन से अनुमति लेनी चाहिए थी। कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकती। इसलिए उसके खिलाफ केस नहीं चल सकता।
हाईकोर्ट कोर्ट ने कहा, यह तर्क विशेष अदालत में नहीं दिया गया। पहली बार उठाया गया है। ट्रायल के दौरान उचित समय पर उठाया जा सकता है। अभी मुद्दा प्रीमेच्योर (समय पूर्व) है। कोर्ट ने कहा विशेष अदालत ने अर्जी निरस्त करने में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है।
कोर्ट ने कहा याची दो बार सांसद व एक बार विधायक रहा है। वह हत्या जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त है। उसके खिलाफ 81 आपराधिक केसों का इतिहास है। जिसमें से 15 हत्या के केस हैं। शातिर अपराधी राजनीतिक संरक्षण व ताकत प्राप्त कर आनंद कर रहा है। हाल ही में जौनपुर की अदालत ने उसे अपराध का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने कहा याची के 46 साल के लंबी आपराधिक दुनिया के सफर में उसे पहली बार अपराध की सजा मिली है।
प्रश्नगत मामले में एसपी के आदेश से षड्यंत्र व फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोक संपत्ति हड़पने का केस दर्ज हुआ है। राजस्व अभिलेखों में उसका नाम भी दर्ज हो गया है। इसी मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और कोर्ट ने याची को अपराध से उन्मोचित करने की अर्जी निरस्त कर दी, जिसे पुनरीक्षण याचिका में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा पत्रावली पर अपराध कारित होने के साक्ष्य मौजूद हैं। विशेष अदालत एमपीएमएल प्रयागराज के आदेश पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।

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