आजमगढ़ : डा.अनूप ने सच कर दिखाया कि धरती का भगवान होता है चिकित्सक

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ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन कर बचाई बच्चे की जान
पूरे देश के बड़े अस्पतालों से निराश होकर लौटे थे बीमार के परिजन
-सूरज जायसवाल
आजमगढ़। कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों, इसे सच कर दिखाया है आजमगढ़ के प्रतिष्ठित न्यूरो सर्जन डा.अनूप सिंह यादव ने। हुआ यह था कि गोलू पुत्र सोनू जायसवाल निवासी मुबारकपुर, जनपद आजमगढ़ ब्रेन ट्यूमर रोग से ग्रसित था। इसे लेकर परिवार में भारी चिंता थी। अब से 6 माह पहले गोलू को उसके परिजनों ने डा. अनूप सिंह को दिखाया था, तो उन्होंने आपरेशन कराने की सलाह दी थी। आजमगढ़ जैसे छोटे शहर का चिकित्सक होने के कारण मरीज के परिवार को डा. अनूप की योग्यता पर संदेह था। उनको ऐसा लग रहा था कि डा. अनूप इतना मेजर आपरेशन कर पायेंगे कि नहीं। फिर परिजनों ने गोलू का किसी बडे़ हास्पिटल में उपचार कराने का फैसला लिया। गोलू के बड़े पापा ईश्वर चन्द्र उसे लेकर पहले बीएचयू गये, वहां के चिकित्सकों ने उन्हें पीजीआई ले जाने को कहा। वहां भी उन्हें संतोषजनक उत्तर नही मिला। इसी बीच गोलू की सबसे बड़ी मम्मी का निधन हो गया। इसके चलते गोलू के उपचार की पहल रूक गई। बाद में ईश्वर अपने भतीजे गोलू के इलाज को लेकर एक बार फिर सक्रिय हुए और वह दिल्ली के एम्स पहुंच गए। वहां वह कई दिनों तक रूके और गोलू का पूरा परीक्षण किया गया। डाक्टरों का यह जबाव सुनकर कि आपरेशन के दौरान गोलू को कुछ भी हो सकता है, यह सुने जाने के बाद पूरा परिवार सहम गया। ऐसी स्थिति में परिजनों के बीच गोलू को किसी निजी अस्पताल में दिखाने की बात तय हुई। इसके बाद गोलू को लेकर परिजन दिल्ली के ही फोर्टिन हास्पिटल गये। वहां भी आपरेशन के दौरान जान जाने का खतरा बताया गया। इससे घबराहये परिजन वापस घर लौट आये। गोलू को लेकर परिवार के लोगों ने रिश्तेदारों के समक्ष बात रखी। फिर यह तय हुआ कि गोलू को लेकर एक बार फिर लाईफ लाईन का दरवाजा खटखटाना चाहिए। यह तय होने के बाद परिजन व रिश्तेदार के साथ गोलू की बुआ मेरी पत्नी से मिलने आये तो मैंने उन्हें पूरे भरोसे के साथ डा. अनूप से फिर मिलने को कहा। वह सभी लोग 10 साल के गोलू के आपरेशन के लिए तैयार हो गये। आपरेशन से तीन दिन पहले गोलू को लाइफ लाइन अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। डा. अनूप से परिवार व रिश्तेदारी के लोग बार-बार गोलू के जान की चिंता पर विनती कर थे। डा. अनूप ने परिवार को भरोसा दिया कि वह आपरेशन करेंगे और गोलू को भी बचायेंगे। इसके बाद परिजनों का हौसला बढ़ गया और 5 नवंबर को उसका सफल आपरेशन किया गया। आपरेशन के बाद गोलू के परिजन डा. अनूप और डा. गायत्री के साथ सहयोगी चिकित्साकर्मी का गुणगान कर रहे हैं। गोलू के बड़े पापा ईश्वर कहते हैं कि वह डा. अनूप की प्रतिभा को समझ नहीं सके थे। अगर वह उनकी प्रतिभा को पहले जान गये होते तो न इतनी ठोकरें खाते और न ही आपरेशन में इतनी देरी होती। गोलू का आपरेशन हुए आज एक सप्ताह होने को है। गोलू के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। हम सभी की शुभकामनायें प्रिय गोलू के साथ है।

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