500 से 1000 में बिक रही एक रुपए की गड्डी; आपको भी आएगा फोन

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कानपुर। इस दिवाली भी नए नोटों की जबरदस्त मांग है। पिछले साल की तरह इस बार भी इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। पिछले साल दस रुपये की गड्डी 1200 से 1500 तक बिकी थी। इस बार यह 1600 रुपये तक पहुंच गई है। एक रुपये की नई गड्डी 500 से 1000 में बिक रही है। ऐसे में नोटों की कालाबाजारी पर लगाम लगाने को रिजर्व बैंक ने नया तरीका निकाला है। रिजर्व बैंक दीपावली के बाद दस्तावेजों में दर्ज नंबरों पर रैंडम कॉल करके पूछेगा कि ग्राहक को वास्तव में नई गड्डी मिली या नहीं।
तो दिवाली पर नए नोटों की गड्डी के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। बैंक नए नोटों की गड्डियां मनमाने ढंग से नहीं दे सकेंगे। उन्हें एक-एक गड्डी का रिकॉर्ड रखना होगा। गड्डी आम ग्राहकों को बांटी या केवल कारपोरेट घरानों, रसूखदारों को दी गई, रिजर्व बैंक इसी रिकार्ड से जान लेगा।
पिछले साल 270 करोड़ रुपए की नई करेंसी जारी की गई थी, लेकिन आम ग्राहकों तक केवल 40 फीसदी नए नोट पहुंचे। बड़े कारपोरेट घरानों पर बैंक मेहरबान रहे। शिकायतें हुईं कि मनी एक्सचेंजरों को नई गड्डियां दी गईं। गोपनीय जांच और फीडबैक में पाया गया कि करीब 80 करोड़ रुपए की नई करेंसी ही ग्राहकों को मिली। 70 करोड़ रुपए मनी एक्सचेंजरों के पास पहुंचे और शेष 120 करोड़ की नई करेंसी खास ग्राहकों को देकर बैंकों ने उपकृत किया। पिछली दिवाली से पहले नई गड्डी लेने 325 शाखाओं में पहुंचे ग्राहक मायूस लौट गए थे।
14 करेंसी चेस्ट के जरिए 616 बैंक शाखाओं में 350 करोड़ की नई करेंसी भेजी जा रही है। इसकी लॉगबुक बनेगी। करेंसी चेस्ट से किस शाखा को अलग-अलग मूल्यवर्ग की कितनी गड्डियां भेजी गईं, इसका रिकार्ड तैयार होगा। बैंक ने किस ग्राहक को कितनी गड्डियां दी दीं, उसके मोबाइल नंबर सहित ब्योरा नोट करना होगा। इसे क्रास चेक करने के लिए रैंडम फोन कॉल होंगी। दावा गलत मिला तो बैंक शाखा पर तगड़ा जुर्माना लगेगा। मनी एक्सचेंजरों की निगरानी फील्ड यूनिट करेगी। वी बैंकर्स के राष्ट्रीय सचिव आशीष मिश्र ने बताया कि बैंकों में दलालों का रैकेट सक्रिय है।
ऑनलाइन शापिंग वेबसाइटों पर नई करेंसी प्रतिबंध के बाद भी जारी है। एंटीक करेंसी के नाम पर खरीद फरोख्त हो रही है। एक का एक नोट 450 रुपये का बिक रहा है।

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